राम का नाम
बात रामायण काल की है
लेकिन कमाल की है
राम की सेना के वानर
पत्थरों पर राम का नाम लिख कर
पानी में तैरा रहे थे
समुन्दर में पुल बना रहे थे
रामजी ने सुना ,तो चकराए ,
सोचा ये हो सकता है कैसे
वो दूर अकेले निकल गए ,
और उन्होंने एक पत्थर ,
पानी में फेंक दिया ,चुपके से
पत्थर तैरा नहीं,डूब गया तो राम ने ,
सकपका के देखा इधर उधर
तो उन्हें पास ही हनुमानजी आये नज़र
बोले ,हनुमान ,तूने कुछ देखा तो नहीं
तो हनुमान बोले ,प्रभु सब देख लिया
जिसने आपका नाम लिया ,वो तैर गया ,
आपने जिसको छोड़ा,वो डूब गया
ये बात तो हुई आध्यात्मिक
अब बताते है इससे भी कुछ अधिक
लंका में जब पहुंचा ये समाचार
कि समुन्दर के उस पार
पुल बन रहा है,धमाल हो रहा है
रामका नाम लिखा हुआ पत्थर ,
पानी में तैर रहा है,कमाल हो रहा है
रावण जब ये सुना ,तो सोचा ,
इससे तो लंका जनता का
'मोरल डाउन 'हो सकता है
इसलिए कुछ करने की आवश्यकता है
इसलिए उसने करवा दिया एलान
कि वो भी पानी में तैरायेगा ,
लिख कर के अपना नाम
एक निश्चित दिन ,जब रावण को था ,
पानी में पत्थर तैराना
लंका के सारी जनता ,एकत्र हो गयी ,
देखने रावण का ये कारनामा
और जब रावण ने ,अपना नाम लिख,
पत्थर को पानी में तैराया
तो पत्थर डूबने लगा ,बाहर नहीं आया
रावण घबराने लगा
मन ही मन कुछ बुदबुदाने लगा
कुछ ही देर में चमत्कार दिखलाया
डूबता पत्थर ,तैरता हुआ वापस आया
रावण की सांस में सांस आयी ,
वो पसीने पसीने था ,पर मुस्कराया
जनता उसकी जयजयकार कर रही थी
पर मन ही मन ,
रावण की हवा खिसक रही थी
रात मंदोदरी ने पूछा ,
आपने इतना बड़ा चमत्कार कर दिया ,
फिर क्यों इतना घबरा रहे थे
जब पत्थर डूब रहा था ,
आप कौनसा मन्त्र बुदबुदा रहे थे
रावण ने बोला रानीजी,
मैं कैसे ना घबराता
अगर पत्थर नहीं तैरता तो,
मेरी इज्जत का तो फलूदा हो जाता
इसलिए पत्थर को पानी में ,
तैराने में आया जो मन्त्र काम
मैं मन ही मन बुदबुदा रहा था
राम का नाम
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
बात रामायण काल की है
लेकिन कमाल की है
राम की सेना के वानर
पत्थरों पर राम का नाम लिख कर
पानी में तैरा रहे थे
समुन्दर में पुल बना रहे थे
रामजी ने सुना ,तो चकराए ,
सोचा ये हो सकता है कैसे
वो दूर अकेले निकल गए ,
और उन्होंने एक पत्थर ,
पानी में फेंक दिया ,चुपके से
पत्थर तैरा नहीं,डूब गया तो राम ने ,
सकपका के देखा इधर उधर
तो उन्हें पास ही हनुमानजी आये नज़र
बोले ,हनुमान ,तूने कुछ देखा तो नहीं
तो हनुमान बोले ,प्रभु सब देख लिया
जिसने आपका नाम लिया ,वो तैर गया ,
आपने जिसको छोड़ा,वो डूब गया
ये बात तो हुई आध्यात्मिक
अब बताते है इससे भी कुछ अधिक
लंका में जब पहुंचा ये समाचार
कि समुन्दर के उस पार
पुल बन रहा है,धमाल हो रहा है
रामका नाम लिखा हुआ पत्थर ,
पानी में तैर रहा है,कमाल हो रहा है
रावण जब ये सुना ,तो सोचा ,
इससे तो लंका जनता का
'मोरल डाउन 'हो सकता है
इसलिए कुछ करने की आवश्यकता है
इसलिए उसने करवा दिया एलान
कि वो भी पानी में तैरायेगा ,
लिख कर के अपना नाम
एक निश्चित दिन ,जब रावण को था ,
पानी में पत्थर तैराना
लंका के सारी जनता ,एकत्र हो गयी ,
देखने रावण का ये कारनामा
और जब रावण ने ,अपना नाम लिख,
पत्थर को पानी में तैराया
तो पत्थर डूबने लगा ,बाहर नहीं आया
रावण घबराने लगा
मन ही मन कुछ बुदबुदाने लगा
कुछ ही देर में चमत्कार दिखलाया
डूबता पत्थर ,तैरता हुआ वापस आया
रावण की सांस में सांस आयी ,
वो पसीने पसीने था ,पर मुस्कराया
जनता उसकी जयजयकार कर रही थी
पर मन ही मन ,
रावण की हवा खिसक रही थी
रात मंदोदरी ने पूछा ,
आपने इतना बड़ा चमत्कार कर दिया ,
फिर क्यों इतना घबरा रहे थे
जब पत्थर डूब रहा था ,
आप कौनसा मन्त्र बुदबुदा रहे थे
रावण ने बोला रानीजी,
मैं कैसे ना घबराता
अगर पत्थर नहीं तैरता तो,
मेरी इज्जत का तो फलूदा हो जाता
इसलिए पत्थर को पानी में ,
तैराने में आया जो मन्त्र काम
मैं मन ही मन बुदबुदा रहा था
राम का नाम
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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