एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

मंगलवार, 22 सितंबर 2015

ईश्वर पूजन और मनोकामना

 ईश्वर पूजन और मनोकामना

हम विघ्नहर्ता गणेशजी की,
 आराधना करते है
और उनसे ये याचना करते है
हमें सुख ,शांति,समृद्धि दे ,
व्यापार में वृद्धि दे
ऋद्धि और सिद्धि दे
जब क़ि हम ये जानते है,
ऋद्धि और सिद्धि ,गणेशजी की पत्नियां है
जो खड़ी रहती है उनके दांये,बाएं
हमारी ये कैसी आस्था है
पूजा कर,मोदक चढ़ा,
हम उनसे उनकी पत्नियां ,
ऋद्धि सिद्धि मांगते है,
ये हमारे लालच की पराकाष्ठा है
हम भगवान विष्णु की पूजा करते हैं
और कामना करते है लष्मी को पाने की
यहाँ भी हमारी कोशिश होती है ,
उनकी पत्नी को हथियाने की
हम शिव जी की करते है भक्ती
और मांगते है उनसे  शक्ति
जबकि शक्ति स्वरूपा दुर्गा उनकी पत्नी है,
हम ये जानते है
फिर भी हम उनसे उनकी पत्नी,
याने  शक्ति मांगते है
कृष्ण के मंदिर में जाकर हम उन्मादे
रटा  करते है 'राधे राधे'
सबको पता है राधा कृष्ण के प्रेयसी है
उनके दिल में बसी है
इसतरह किसी की प्रेयसी नाम
उसी के सामने जपना ,सरे आम
वो भी सुबह शाम
जिससे वो हो जाए हम पर मेहरबान 
अरे कोई भी भगवान
हो कितना ही दाता और दयावान
आशीर्वाद देकर तुम्हे समृद्ध बनाएगा
पर क्या अपनी पत्नी ,
भक्तों में बाँट पायेगा
फिर भी ,हम थोड़ी सी पूजा कर ,
और चढ़ा कर के परसाद
करते है उनसे उनके पत्नी की फ़रियाद
और उसको पाने की ,
कामना करते हर पल है
सचमुच,हम कितने पागल है
घोटू 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-