वही सुलतान होता है
काम कितने ही ऐसे है ,देखने में सरल लगते ,
सान कर देखिये आटा ,नहीं आसान होता है
निकल कर होंठ से आती,गाल पर फ़ैल जाती है,
कान से लेना ना देना ,नाम मुस्कान होता है
मज़ा थोड़ा जरूर आता ,चंद लम्हे सरूर आता ,
जाम जो रोज पीते है ,बुरा अंजाम होता है
जिसे भी मिलता है मौका ,उसे सब चूसते रहते,
आम की ही तरह यारों ,आम इंसान होता है
फोटो छपती है पेपर मे ,नज़र आता है टी वी पर ,
कोई बदनाम भी होता ,तो उसका नाम होता है
जो दबते है दबंगों से ,हमेशा रोते रहते है ,
जो सीना तान के रहता ,वही सुलतान होता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
काम कितने ही ऐसे है ,देखने में सरल लगते ,
सान कर देखिये आटा ,नहीं आसान होता है
निकल कर होंठ से आती,गाल पर फ़ैल जाती है,
कान से लेना ना देना ,नाम मुस्कान होता है
मज़ा थोड़ा जरूर आता ,चंद लम्हे सरूर आता ,
जाम जो रोज पीते है ,बुरा अंजाम होता है
जिसे भी मिलता है मौका ,उसे सब चूसते रहते,
आम की ही तरह यारों ,आम इंसान होता है
फोटो छपती है पेपर मे ,नज़र आता है टी वी पर ,
कोई बदनाम भी होता ,तो उसका नाम होता है
जो दबते है दबंगों से ,हमेशा रोते रहते है ,
जो सीना तान के रहता ,वही सुलतान होता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।