नज़र लग गयी
बड़े गर्व से कहता था मैं ,मेरी उमर हुई चौहत्तर
फिर भी मैं फिट और फाइन हूँ,कई जवानो सेभी बेहतर
किन्तु हो रहा है कुछ ऐसा ,बढ़ने लगी खून में शक्कर
करता मुझको परेशान है ,घटता ,बढ़ता ब्लड का प्रेशर
चक्कर आने लगे मुझे है ,डाक्टर के घर ,खाकर चक्कर
कहते है ये लोग सयाने, मेरी नज़र लग गयी मुझ पर
घोटू
बड़े गर्व से कहता था मैं ,मेरी उमर हुई चौहत्तर
फिर भी मैं फिट और फाइन हूँ,कई जवानो सेभी बेहतर
किन्तु हो रहा है कुछ ऐसा ,बढ़ने लगी खून में शक्कर
करता मुझको परेशान है ,घटता ,बढ़ता ब्लड का प्रेशर
चक्कर आने लगे मुझे है ,डाक्टर के घर ,खाकर चक्कर
कहते है ये लोग सयाने, मेरी नज़र लग गयी मुझ पर
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।