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शनिवार, 4 अप्रैल 2015

प्रोत्साहन

       प्रोत्साहन
एक छोटे से बच्चे ने ,
एक कविता लिखी
माँ को सुनाई
माँ ने सुनी ,ताली बजाई
जब माँ की सहेलियां आई,
उन्हें भी सुनवाया
सभी ने तारीफ़ की,सराहा
बच्चे ने वो कविता ,
अपने पिता को भी सुनाई
पिता ने जल्दी जल्दी सुनी ,
शायद पसंद भी आई होगी ,
क्योंकि उन्होंने डाट ना लगाईं
सिर्फ इतना बोला
पढाई पर भी ध्यान दिया करो थोड़ा
बड़े भाई को सुनाई तो बोला ,
'ये तुकबंदी छोड़
थोड़ा स्पोर्ट में इंट्रेस्ट ले ,
सेहत बना,सुबह सुबह दौड़
छोटी बहन ने  सुनी तो ,
खुश होकर बोली छोटी बहना
 भैया ,एक कविता मुझ पर भी लिखो ना
स्कूल में दोस्तों को सुनाई
किसी ने मुंह बनाया  ,किसी  ने सराही
टीचर  ने सुनी तो दी शाबासी
स्कूल की मेंगज़िन  में छपवा दी
इन तरह तरह के प्रोत्साहनों ने ,
 बच्चे का उत्साह बढ़ाया
उसके अंदर के सोये कवि को जगाया
और आज वो साहित्य जगत में ,
जाना माना नाम है
ये उस बचपन में मिले ,
प्रोत्साहन का ही अंजाम है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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