पडी कुछ इस तरह सर्दी
बताये हाल हम कल का
रुइ से बादलों की रजाई मे
सूर्य जा दुबका
हो गया सर्द था मौसम
बढ गई इस कदर ठिठुरन
रजाई से न वो निकला
रजाई से न निकले हम
अब कैसी दूरी अंतर में
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अब कैसी दूरी अंतर मेंजान लिया जब भेद हृदय का अब कैसी दूरी अंतर
में, अंतरिक्ष में ग्रह घूमें ज्यों चंद्र-सूर्य अपने अंबर में !उड़ना चाहें
जितना उड़ लें भीतर...
21 घंटे पहले
सुन्दर प्रस्तुति
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