पडी कुछ इस तरह सर्दी
बताये हाल हम कल का
रुइ से बादलों की रजाई मे
सूर्य जा दुबका
हो गया सर्द था मौसम
बढ गई इस कदर ठिठुरन
रजाई से न वो निकला
रजाई से न निकले हम
परिधान
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परिधान
सभ्यता उन्नत हुई, तब आया परिधान।
पहनावा भी है नियत, है इनका भी स्थान।।
लहँगा चुन्नी साड़ियाँ, दुल्हन का परिधान।
मंडप पर होता नहीं, जींस टॉप मे...
17 घंटे पहले
सुन्दर प्रस्तुति
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