पडी कुछ इस तरह सर्दी
बताये हाल हम कल का
रुइ से बादलों की रजाई मे
सूर्य जा दुबका
हो गया सर्द था मौसम
बढ गई इस कदर ठिठुरन
रजाई से न वो निकला
रजाई से न निकले हम
सत्य
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सत्य सत्य है अखंड, एकरसजानने वाला जान रहा प्रतिपल नहीं है भूत या
भविष्य उसके लिए वहाँ कोई भेद नहीं न दिशाओं का न गुणों का भावातीत, कालातीत व
देशातीत वह ब...
1 दिन पहले
सुन्दर प्रस्तुति
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