जवानी पर चढ़ गयी है सर्दियां
रात की ठिठुरन से बचने, भूल सब शिकवे ,गिले
शाम ,डर कर,उलटे पैरों,दोपहर से जा मिले
ओढ़ ले कोहरे की चादर ,धूप ,तज अपनी अकड़
छटपटाये चमकने को ,सूर्य पीला जाये पड़
हवायें जब कंपकंपाये ,निकलना मुश्किल करे
चूमने को चाय प्याला ,बारहां जब दिल करे
जेब से ना हाथ निकले ,दिखाये कन्जूसियाँ
पास में बैठे रहे बस ,लगे मन भाने पिया
लिपट तन से जब रजाई ,दिखाये हमदर्दियाँ
तो समझ लो ,जवानी पर,चढ़ गयी है सर्दियाँ
घोटू
NALSA के 30 साल और 10 मई की लोक अदालत
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आज की न्यायिक व्यवस्था में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बनाने वाली संस्था ,
पूरे भारत में लोगों को निःशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराने वाले प्राधिकरण
और न्...
12 घंटे पहले