चार दिन की चांदनी
कौन कहता है कि होती चांदनी है चार दिन,
और उसके बाद फिर होती अँधेरी रात है
आसमां की तरफ को सर उठा ,देखो तो सही,
अमावास को छोड़ कर ,हर रात आता चाँद है
सर्दियों के बाद में चलती है बासंती हवा,
और तपती गर्मियों के बाद में बरसात है
वो ही दिख पाता है तुमको,जैसा होता नजरिया,
सोच जो आशा भरा है, तो सफलता साथ है
देख कर हालात को ,झुकना, बदलना गलत है,
आदमी वो है कि जो खुद ,बदलता हालात है
सच्चे मन से चाह है,कोशिश करो,मिल जाएगा,
उस के दर पर ,पूरी होती ,सभी की फ़रियाद है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
दीप जलता रहे
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हमारे चारों ओर केइस घने अंधेरे में समय थोड़ा ही हो भले उजेला होने
में विश्वास आत्म का आत्म पर यूं ही बना रहेसाकार हर स्वप्न सदा होता रहेअपने
हर सरल - कठिन र...
21 घंटे पहले