धन्यवाद ज्ञापन
सब ने प्यार दिया ना होता ,
तो मेरा उपचार न होता
डगमग था जो फंसा भंवर में ,
मेरा बेड़ा पार ना होता
व्याधि विकट ,घड़ियां संकट की
ने जब मुझको घेर लिया था
क्षीण आत्मविश्वास हुआ था ,
हिम्मत में मुंह फेर लिया था
जीवन मृत्यु बीच झूले में
ऊपर नीचे झूल रहा था
बीते दिन की खट्टी मीठी
यादों को मैं भूल रहा था
इस स्थिति से मुझे उबारा ,
मुझे डॉक्टर की भेषज ने
उस पर दूना हाथ बंटाया,
प्रेम दुआ जो भेजी सब ने
करी प्रार्थना सभी हितेषी की
अब दिखला रही असर है
मेरा स्वास्थ्य सुधार हो रहा,
और दिनो दिन अब बेहतर है
शुभचिंतक बंधु बांधव और
मित्रों का सहकार न होता
आशीर्वाद बुजुर्गों का और
ईश्वर का उपकार न होता
सब ने प्यार दिया ना होता
तो मेरा उपचार ना होता
मदन मोहन बाहेती घोटू
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