ऑक्सीजन
हवा अहम की भरी हुई मगरूर बहुत था
बहुत हवा में उड़ता मद में चूर बहुत था
खुद पर बहुत गर्व था नहीं किसी से डरता
अहंकार से भरा हुआ था डींगे भरता
किंतु करोना ऐसा आया हवा बदल दी
मुझे हुआ एहसास बहुत थी मेरी गलती
बौना है इंसान नहीं कुछ भी कर सकता
पड़े नियति की मांग सिर्फ रह जाए बिलखता
लेती श्वास हवा ,पर पीती ऑक्सीजन है
ऑक्सीजन के कारण ही चलता जीवन है
मन का मेल निकाल, हटी जब नाइट्रोजन
निर्मल मन हो गया ,रह गई बस ऑक्सीजन
घोटू
सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत सृजन
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