बाद में भूल जाएंगे
तुम स्वर्ग जाओ या नर्क
किसी को पड़े न कोई फर्क
तुम्हे स्वर्गवासी कह कर पर ,लोग बुलाएँगे
कुछ दिन तुम्हारी फोटो पर ,फूल चढ़ाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
जब तुम हो से थे हो जाते
कुछ दिन याद बहुत हो आते
साथ समय के धीरे धीरे ,
तुमको है सब लोग भुलाते
जो आया है ,सो जायेगा ,
इस प्रकृति का यही नियम है
साथ नहीं कुछ भी जाएगा ,
ये मेरा है ,केवल भ्रम है
करो सद्कर्म,निभाओ धर्म
यही है इस जीवन का मर्म
पुण्य तुम्हारे बेतरणी को पार कराएँगे
कुछ दिन तुम्हारी फोटो पर फूल चढ़ायेगे
बाद में भूल जाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
तुमने जीवन भर मेहनत कर ,
कोड़ी कोड़ी ,माया जोड़ी
लेकिन खाली हाथ गए तुम ,
दौलत सभी यहीं पर छोड़ी
देह दहन हो ,अस्थि रूप में ,
गंगाजी में जाओगे बह
जब तक तुम्हारे बच्चे हैं ,
बने वल्दियत जाओगे रह
और बाद में ,एक बरस में
वो भी केवल श्राद्धपक्ष में ,
तुम्हारा प्रिय भोजन ,ब्राह्मण को खिलवायेंगे
कुछ दिन तुम्हारी फोटो पर ,फूल चढ़ाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
तुम स्वर्ग जाओ या नर्क
किसी को पड़े न कोई फर्क
तुम्हे स्वर्गवासी कह कर पर ,लोग बुलाएँगे
कुछ दिन तुम्हारी फोटो पर ,फूल चढ़ाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
जब तुम हो से थे हो जाते
कुछ दिन याद बहुत हो आते
साथ समय के धीरे धीरे ,
तुमको है सब लोग भुलाते
जो आया है ,सो जायेगा ,
इस प्रकृति का यही नियम है
साथ नहीं कुछ भी जाएगा ,
ये मेरा है ,केवल भ्रम है
करो सद्कर्म,निभाओ धर्म
यही है इस जीवन का मर्म
पुण्य तुम्हारे बेतरणी को पार कराएँगे
कुछ दिन तुम्हारी फोटो पर फूल चढ़ायेगे
बाद में भूल जाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
तुमने जीवन भर मेहनत कर ,
कोड़ी कोड़ी ,माया जोड़ी
लेकिन खाली हाथ गए तुम ,
दौलत सभी यहीं पर छोड़ी
देह दहन हो ,अस्थि रूप में ,
गंगाजी में जाओगे बह
जब तक तुम्हारे बच्चे हैं ,
बने वल्दियत जाओगे रह
और बाद में ,एक बरस में
वो भी केवल श्राद्धपक्ष में ,
तुम्हारा प्रिय भोजन ,ब्राह्मण को खिलवायेंगे
कुछ दिन तुम्हारी फोटो पर ,फूल चढ़ाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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