जी करता है तुमको डाटूं
पकड़ूँ गलती छोटी मोटी
खूब सुनाऊँ खरी और खोटी
यूं ही बेतुकी बातें करके
तुम्हे सताऊं मैं जी भर के
गुस्से में तुमको पागल कर ,
मैं दिमाग तुम्हारा चाटूँ
जी करता है तुमको डाटूं
ढूँढूँ कोई न कोई बहाना
अच्छा नहीं बनाया खाना
आज दाल में नमक नहीं है
चावल भी ना पके सही है
रोज कमी रहती कुछ ना कुछ
लापरवाह हुई तुम सचमुच
जब दिखलाने लगता तेवर
बात टालती तुम मुस्का कर
मेरा नाटक पकड़ा जाता
मैं पानी पानी हो जाता
तुम कहती क्यों मुझे चिढ़ाते
झूंठ ठीक से बोल न पाते
ये सच तुम्हारा खाना है ,
स्वाद बहुत ,मैं ऊँगली चाटूँ
जी करता है तुमको डाटूं
घर को रखती सदा सजा कर
सबसे मिलती हो मुस्काकर
ख्याल सदा है परिवार का
तुम हो सागर भरा प्यार का
ना रूठो ना किचकिच करती
गलत काम करने से डरती
ना फरमाइश ना झगड़ा है
हृदय तुम्हारा बहुत बड़ा है
नहीं ढूंढती कमियां मेरी
तुम में खूबी है बहुतेरी
बहुत चहेती सबके मन की
मूरत हो तुम अपनेपन की
भरी हुई तुम सद्भावों से ,
तुममे गलती कैसे छांटूं
जी करता है तुमको डाटूं
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
पकड़ूँ गलती छोटी मोटी
खूब सुनाऊँ खरी और खोटी
यूं ही बेतुकी बातें करके
तुम्हे सताऊं मैं जी भर के
गुस्से में तुमको पागल कर ,
मैं दिमाग तुम्हारा चाटूँ
जी करता है तुमको डाटूं
ढूँढूँ कोई न कोई बहाना
अच्छा नहीं बनाया खाना
आज दाल में नमक नहीं है
चावल भी ना पके सही है
रोज कमी रहती कुछ ना कुछ
लापरवाह हुई तुम सचमुच
जब दिखलाने लगता तेवर
बात टालती तुम मुस्का कर
मेरा नाटक पकड़ा जाता
मैं पानी पानी हो जाता
तुम कहती क्यों मुझे चिढ़ाते
झूंठ ठीक से बोल न पाते
ये सच तुम्हारा खाना है ,
स्वाद बहुत ,मैं ऊँगली चाटूँ
जी करता है तुमको डाटूं
घर को रखती सदा सजा कर
सबसे मिलती हो मुस्काकर
ख्याल सदा है परिवार का
तुम हो सागर भरा प्यार का
ना रूठो ना किचकिच करती
गलत काम करने से डरती
ना फरमाइश ना झगड़ा है
हृदय तुम्हारा बहुत बड़ा है
नहीं ढूंढती कमियां मेरी
तुम में खूबी है बहुतेरी
बहुत चहेती सबके मन की
मूरत हो तुम अपनेपन की
भरी हुई तुम सद्भावों से ,
तुममे गलती कैसे छांटूं
जी करता है तुमको डाटूं
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbhut hi badiya post likhi hai aapne. Ankit Badigar Ki Traf se Dhanyvad.
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