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सोमवार, 3 मई 2021

उगते सूरज से

ऐ सूरज इसके पहले कि तू सर पे चढ़े ,
निज कोषों से कुछ मुझे 'विटामिन 'दे देना
शक्ति से मैं लड़ पाऊं सब विपदाओं से,
इतना साहस और गुण  तू अनगिन दे देना

तू अभी विशाल ,लाल ,स्वर्णिम आभा वाला  
तुझमे शीतलता व्याप्त ,प्रीत से भरा हुआ
नयनों को प्यारी ,तेरी ये छवि लगती है ,
तूने ही आ ,इस जग को चेतन करा हुआ  
पर जैसे जैसे आलोकित होगी दुनिया ,
सब छुपे  दबे  जो दोष प्रकट हो जाएंगे
दुष्ट प्रवृती  के और पीड़ा देने वाले ,
जितने भी है रोग ,प्रकट  हो जाएंगे
मैं प्रतिरोध कर सकूं हर बिमारी का ,
स्वस्थ रहूँ , मुझको  ऐसे दिन दे देना
ऐ सूरज इसके पहले कि तू सर पे चढ़े ,
निज कोषों से कुछ मुझे विटामिन दे देना

नन्हा बच्चा प्यार लुटाता है सब पर ,
जब हँसता ,मुस्काता ,भरता किलकारी
पर उसका निश्छल व्यवहार बदल जाता ,
ज्यों  बढ़ता ,जाता सीख सभी दुनियादारी
वैसे ही जब छोड़ के आँचल प्राची का ,
धीरे धीरे तू ऊपर उठता जाएगा
तुझसे नज़र मिलाना भी मुश्किल होगा ,
तू इतना ज्यादा तेज ,प्रखर हो जाएगा
इसके पहले कि तपन बने ये शीतलता ,
मधुर प्यार के ,मुझको पलछिन दे देना
ऐ  सूरज इसके पहले कि तू सर पे चढ़े ,
निज कोषों से तू मुझे विटामिन दे देना

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

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