खोट
खोट थोड़ी हवाओं में है ,खोट कुछ मौसम में है
खोट थोड़ी तुम में भी है, खोट थोड़ी हम में है
दूसरों की कमियां ही हम सदा रहते आंकते
फटे अपने गरेबाँ में ,कभी भी ना झांकते
नाच ना आता ,बताते ,खोट कुछ आंगन में है
खोट थोड़ी तुम में हैं और खोट थोड़ी हम में है
खोट आयी दूध में तो ,फट गया ,छेना बना
विचारों में खोट आयी ,हो गया मन अनमना
घटा घिर यदि ना बरसती ,खोट क्या सावन में है
खोट थोड़ी तुम में है और खोट थोड़ी हम में है
जिंदगी में कुछ गलत हो और बुरे हो हाल गर
दोष मढ़ते कुंडली पर ,और ग्रहों की चाल पर
जो दहेज़ लाइ नहीं तो ,खोट क्या दुल्हन में है
खोट थोड़ी तुम में है और खोट थोड़ी हम में है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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