मीरा और गोविन्द
१
ए मीरा अब छोड़ दे,जपना गोविंद नाम
गोविंद तो कोविंद हुए ,कृष्ण हो गये राम
कृष्ण हो गए राम ,देख कलयुग की माया
राष्ट्रपति बनने का उनने दांव लगाया
कोविंद ,गोविंद भेद न जाने हृदय अधीरा
कह 'घोटू' कवि ,पीछे पीछे दौड़ी मीरा
२
आठ रानियों के पति ,फिर भी ना संतोष
बनने को पति राष्ट्र का ,दिखा रहे है जोश
दिखा रहे है जोश ,प्रेम में जिनके पागल
बनी दीवानी ,मीरा ,भटकी ,जंगल जंगल
प्रेम दिवानी मीरा ने पर आस न छोड़ी
भाग रही है उनके पीछे ,दौड़ी दौड़ी
घोटू
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