फादर डे
हमारा बेटा ,अपनी व्यस्तता के कारण ,
फादर डे पर मिलने तो नहीं आया
पर याद रख के एक पुष्पगुच्छ भिजवाया
हमने फोन किया बरखुरदार
धन्यवाद,भेजने को ये उपहार
और दिखाने को अपना प्यार
साल में एक बार जो इस तरह ,
फादर डे मना लोगे
एक पुष्पगुच्छ भेज कर ,
अपना कर्तव्य निभा लोगे
क्या इससे ही अपना पितृऋण चूका लोगे
तुम्हारी माँ ,तुम्हारे इस व्यवहार से ,
कितना दुखी होती है
छुप छुप कर रोती है
तुम्हे क्या बतलायें ,बुढ़ापे में ,माँ बाप को,
संतान के प्यार और सहारे की
कितनी जरूरत होती है
बेटे का जबाब आया
पापा,हमने एक दिन ही सही ,
फादर डे तो मनाया
पर क्या कभी आपने 'सन डे 'मनाया
हमने कहा बेटा ,हम सप्ताह में एक बार ,
और साल में बावन बार ,'सन डे 'मनाते है
तुम्हे मिस करते है ,मन को बहलाते है
और रिटायरमेंट के बाद तो,
हमारा हर दिन ही 'सन डे 'जैसा है
हर माँ बाप के दिल में ,
बचपन से लेकर अंत तक ,
अपनी संतान के प्रति प्यार ,
भरा रहता हमेशा है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सार्थक रचना
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