पिताजी आप अच्छे थे
संवारा आपने हमको ,सिखाया ठोकरे सहना
सामना करने मुश्किल का,सदा तत्पर बने रहना
अनुभव से हमें सींचा ,तभी तो हम पनप पाये
जरासे जो अगर भटके ,सही तुम राह पर लाये
मिलेगी एक दिन मंजिल ,बंधाया हौंसला हरदम
बढे जाना,बढे जाना ,कभी थक के न जाना थम
जहाँ सख्ती दिखानी हो,वहां सख्ती दिखाते थे
कभी तुम प्यार से थपका ,सबक अच्छा सिखाते थे
तुम्हारे रौब डर से ही,सीख पाए हम अनुशासन
हमें मालुम कितना तुम,प्यार करते थे मन ही मन
सरल थे,सादगी थी ,विचारों के आप सच्चे थे
तभी हम अच्छे बन पाए ,पिताजी आप अच्छे थे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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