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रविवार, 26 अक्टूबर 2025

गुनगुनाते रहो 

भुनभुनाओ नहीं, गुनगुनाते रहो 
पंछियों की तरह चहचहाते रहो 

रोने धोने को ना,है ये जीवन मिला 
ना किसी से रखो कोई शिकवा गिला 
प्रेम का रस सभी को पिलाते रहो
भुनभुनाओ नहीं ,गुनगुनाते रहो 

आएंगे सुख कभी, छाएंगे दुख कभी 
तुम रखो हौसला, जाएंगे मिट सभी 
तुम कदम अपने आगे बढाते रहो 
भुनभुनाओ नहीं, गुनगुनाते रहो 

देख औरों की प्रगति, न मन में जलो
जीत जाओगे तुम, दो कदम तो चलो 
जश्न खुशियों का अपनी मनाते रहो भुनभुनाओ नहीं, गुनगुनाते रहो 

मुश्किलें सब तुम्हारी,सुलझ जाएगी 
जिंदगी हंसते गाते,गुजर जाएगी 
तुम त्यौहार हर दिन मनाते रहो 
भुनभुनाओ नहीं, गुनगुनाते रहो

मदन मोहन बाहेती घोटू 

मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025

श्री गणेश लक्ष्मी पूजन दीवाली पर एक साथ क्यों?

अभी कुछ दिन पहले ही तो,
 बड़े भक्ति भाव से हमने ,
गणेश जी को विदा देकर किया था रवाना  
यह कह कर कि है गणपति बप्पा अगले बरस तुम जल्दी आना 
और बरस भर की जरूरत ही नहीं पड़ी बहुत जल्दी हमें पड़ गया उनको फिर से बुलाना 
क्योंकि दिवाली आ गई है 
घर-घर में लक्ष्मी जी छा गई है 
उल्लू पर सवार लक्ष्मी माता अपनी महिमा दिखने लगी है 
पति विष्णु तो सोए हुए हैं लंबी नींद 
और यह अपने दोनों हाथों से सिक्के बरसाने लगी है 
लक्ष्मी माता चंचल है और धन समृद्धि के साथ खो न दे अपने बुद्धि और विवेक इसलिए उन पर संतुलन बनाने के लिए निमंत्रित किया जाते हैं श्री गणेश 
लक्ष्मी माता एक स्थान पर स्थिर नहीं होती है 
श्री गणेश बुद्धि के स्वामी है लक्ष्मी को स्थिर करने के लिए बुद्धि की आवश्यकता होती है 
श्री गणेश जी लक्ष्मी जी को स्थिर रखकर लंबे समय तक रखते हैं टिकाए इसलिए दीपावली पूजन में लक्ष्मी जी के साथ बिठाकर गणेश जी भी जाते हैं पूजाएं 
आपने देखा होगा लक्ष्मी की तस्वीरों में जब वो अकेली होती है ,
दोनों हाथों से धन बरसाती है 
और जब गणेश जी साथ होती हैं 
तो शांति मुद्रा में पूजी जाती है
गणेश जी की सलाह से धन बरसाते हुए अच्छे बुरे का करती संतुलन है
दीपावली पर गणेश पूजन का यही तो कारण है 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 20 अक्टूबर 2025

शादी 

जैसे ,पतझड़ के बाद हो बसंत ऋतु में फूलों का महकना 
जैसे ,प्रात की बेला में पक्षियों का मधुर करलव , चहकना 
 जैसे ,सर्दी की गुनगुनी धूप में छत पर बैठ मुंगफलियां खाना 
जैसे ,गर्मी में लोकल ट्रेन में आकर ठंडे पानी से नहाना 
जैसे ,तपती हुई धरती पर बारिश की पहली फुहार का गिरना 
जैसे ,उपवन के पेड़ पर चढ़कर पके फलों को चखना 
जैसे, पूनम के चांद का थाली भरे जल में उतरना 
जैसे , बौराई अमराई में कोकिल का पीयू पीयू चहकना 
जैसे ,सवेरे उठकर गरम-गरम गुलाबी चाय की चुस्कियां लेना 
जैसे ,दीपावली की रात में दीपक की लौ से बिखरता हुआ प्रकाश 
जैसे ,चटपटा खाने के बाद मुंह में घुल जाए गुलाब जामुन की मिठास 
जैसे ,होली के रंगों में जीवन के बिखरे हो अबीर गुलाल 
जैसे ,वीणा और तबले की आपस में मिल जाए ताल से ताल 
जैसे ,जीवन के कोरे कागज पर लिख दे प्रणय गीत 
जैसे , वीराने में बहार बनकर आ जाए कोई मनमीत 
जैसे ,सोलह संस्कारों में सबसे प्यारा मनभावन संस्कार 
जैसे ,ईश्वर द्वारा मानव को दी गई सबसे अच्छी सौगात

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

चौरासी पार 

हो गए हम चौरासी पार 
देश विदेश घूम कर देखा, देख लिया संसार 
हो गए हम चौरासी पार 

बचपन में गोदी में खेले ,निश्चल और 
अबोध 
हंसते कभी,कभी रोते थे ,नहीं काम और क्रोध 
फिर जब दुनियादारी सीखी ,पड़ी वक्त की मार
हो गए हम चौरासी पार 

उड़ते रहते थे पतंग से ,जब थी उम्र जवान 
कटी डोर तो गिरे धरा पर रही आन ना शान 
वक्त संग लोगों ने लूटा ,हमको सरे बाजार 
हो गए हम चौरासी पार 

जैसे जैसे उम्र बढी ,आई जीवन की शाम
तो संभाल और देखभाल में, मुश्किल आई तमाम
धीरे धीरे लगा बदलने, लोगों का व्यवहार 
हो गए हम चौरासी पार
 
अब तन जर्जर,अस्थि पंजर, हुआ समय का फेर 
आया बुढ़ापा ,कई व्याधियां, हमको बैठी घेर 
अब तक जीवन की उपलब्धि ,
पाया सबका प्यार 
हो गए हम चौरासी पार

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

टेंशन 


मेरे घर में टेंशन का कुछ काम नहीं

क्योंकि टेंशन है तो फिर आराम नहीं

इसके लिए अटेंशन देना पड़ता है

बात-बात पर ब्लड प्रेशर ना बढ़ता है

छोटी बातें सहज सुलझ जो सकती है

इस जीवन में बड़ी अहमियत रखती है

उनका करो निदान इसलिए जल्दी से 

हट जाएगी परेशानियां सब जी से 

अगर सवेरे आए नहीं काम वाली 

परेशान हो मत दो उसको तुम गाली

परेशानियों को तुम दोगे यूं ही भगा 

क्या होगा जो एक दिन पोंछा नहीं लगा

फोन करो स्वीगी को खाना मंगवा लो

मनपसंद खाना होटल का तुम खा लो

पढ़ने में यदि लगता ना मन बच्चों का

तुम टेंशन जो लोगे इससे क्या होगा 

उनको इंसेंटिव दो आगे बढ़ने का 

शौक उन्हें लग जाए जिससे पढ़ने का

दोस्त तुम्हारे होंगे और कुछ दुश्मन भी

कभी किसी से होगी थोड़ी अनबन भी 

कोई हो नाराज खफा तुमसे काफी

होकर निसंकोच मांग लो तुम माफी 

एक तुम्हारा शब्द सिर्फ सॉरी कहना 

दूर तुम्हें कर देगा टेंशन से रहना

परेशानियां सुख-दुख आते जाते हैं 

लोग व्यर्थ ही टेंशन से घबराते हैं 

लेते यूं ही बहाना टेंशन करने का 

जैसे पत्नी को टेंशन है मरने का 

अगर मैं गई पहले टेंशन यह भारी

देखभाल फिर कौन करेगा तुम्हारी 

 तुम जो पहले गए टेंशन यह होगा

 मैं पड़ जाऊं अकेली मेरा क्या होगा 

जो भी होनी है तो होगी निश्चय है 

तो फिर व्यर्थ तुम्हारे मन में क्यों भय है

चार दिनों का पाया हमने यह जीवन

उसमें भी यदि रहे पालते हम टेंशन 

नहीं काटना यह जीवन है रो रो कर

इसीलिए बस हंसो जियो तुम खुश होकर

अगर नहीं जो सर पर पालोगे टेंशन 

नहीं मिलेगा तुम्हें उम्र का एक्सटेंशन

मानो मेरी बात, नजरिया तुम बदलो 

जीना है जो लंबा ,तो टेंशन मत लो


मदन मोहन बाहेती घोटू 

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