जवानी पर चढ़ गयी है सर्दियां
रात की ठिठुरन से बचने, भूल सब शिकवे ,गिले
शाम ,डर कर,उलटे पैरों,दोपहर से जा मिले
ओढ़ ले कोहरे की चादर ,धूप ,तज अपनी अकड़
छटपटाये चमकने को ,सूर्य पीला जाये पड़
हवायें जब कंपकंपाये ,निकलना मुश्किल करे
चूमने को चाय प्याला ,बारहां जब दिल करे
जेब से ना हाथ निकले ,दिखाये कन्जूसियाँ
पास में बैठे रहे बस ,लगे मन भाने पिया
लिपट तन से जब रजाई ,दिखाये हमदर्दियाँ
तो समझ लो ,जवानी पर,चढ़ गयी है सर्दियाँ
घोटू
सपने वाला स्कूल
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*सपने वाला स्कूल*
रवि नाम का नौ साल का लड़का था। हर सुबह जब उसका अलार्म बजता, वह बेमन से
उठता। स्कूल जाने की तैयारी उसके लिए किसी भारी काम से कम नहीं लगती...
1 घंटे पहले