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रविवार, 26 सितंबर 2021

घर 

केवल ईंट और गारे का, ढांचा ना घर होता है 
घर वो जिसमें घर वालों में प्रेम परस्पर होता है 

वह घर असली घर जिसमें सब मिलजुल कर साथ रहे 
जहां प्रेम और सद्भावों की, गंगा जमुना सदा रहे

घर वो जिसमें मेल जोल हो ,भाईचारा भरा रहे 
जिसमें हरदम चहल-पहल हो, जो खुशियों से हरा रहे

सुख की हो बरसात जहां पर ,समृद्धि के फूल खिले 
जहां अतिथि का स्वागत हो, बांह  पसारे सभी मिले

 सहनशीलता लोगों में हो, साथ निभाना सब जाने
करें सलाह ,मार्गदर्शन ले ,बात बड़ों की सब माने

 घर वह जिसमें देव विराजे, भक्ति भाव हो पूजन हो जहां बुजुर्गों की सेवा हो ,आदर हो और वंदन हो 
 
 जहां पिरंडे की पूजा हो, अग्नि जहां जिमाते हो 
 गौ माता को अर्पित पहली रोटी यहां पकाते हो 
 
 राम लखन जैसे भाई हो, बहू रहे सीता जैसी 
 सास बहू को बेटी  माने, सब में प्रीत रहे ऐसी 
 
 अच्छे संस्कार से शिक्षित ,हर बच्चे का बचपन हो 
 इर्षा बैर ना हो आपस में, सब में बस अपनापन हो
 
 ननंद भोजाई ,देरानी और जेठानी में प्यार रहे 
 दादी बच्चों को बैठा कर, नई कहानी रोज कहे 
 
 वह घर,घर संतोष जहां पर नहीं कोई स्पर्धा हो 
 एक दूसरे की इज्जत, घर का हर प्राणी करता हो 
 
 हो हर रात दिवाली जैसी ,सब दिन हो उल्लास भरे   वह घर,घर ना स्वर्ग तुल्य है , वहां देवता वास करें

मदन मोहन बाहेती घोटू

सोमवार, 20 सितंबर 2021

अहम ब्रह्म

करो व्यवस्थित अपना जीवन 
रखो सुरक्षित अपना तन मन 
रहो सभी के तुम अपने बन
तभी पाओगे तुम अपनापन 

जियो जीवन सीधा-सादा
तभी मिलेगी खुशियां ज्यादा 
स्वच्छ संतुलित खाना पीना 
तब ही स्वस्थ जिंदगी जीना 

मुंह में राम बगल छुरी है 
ऐसी आदत बड़ी बुरी है 
अपनी कमियां सभी सुधारो 
छुपे हुए रावण को मारो 

अगर न निर्मल, मन जमुना जल 
छुपा कालिया नाग कहीं पर 
उसका मर्दन करो कृष्ण बन
तभी सफल होगा यह जीवन 

मोह माया का हिरण्यकश्यप 
तम्हें सताता रहता जब तब 
सहन मत करो, मारो उसको
बन नरसिंह, संहारो उसको

रूप विराट नहीं दिखलाओ 
तुम वामन स्वरूप बन जाओ 
भू, पाताल और नभ सर्वस
तीन पगों में नापोगे बस 

जीवन के समुद्र मंथन में 
रखो आस रत्नों की मन में 
किंतु हलाहल भी मिलता है 
शंकर बन पीना पड़ता है 

होते तुम निराश यूं क्यूं हो 
प्रभु तुममें ,तुम स्वयं प्रभु हो
चलते जाओ, नहीं थको तुम 
जीतोगे, विश्वास रखो तुम 

मन में हो जो अटल इरादा
 राह न रोक सकेगी बाधा 
 रखो हौसला, लक्ष्य पाओगे 
 तुम मंजिल पर पहुंच जाओगे

मदन मोहन बाहेती घोटू

शनिवार, 18 सितंबर 2021

आलोचना 

आजकल हर जना 
जरूरत से ज्यादा होशियार है बना 
अपने गिरेबान में झांकना नहीं ,
करता है औरों की आलोचना 
सोच नकारात्मक है 
दृष्टिकोण भ्रामक है 
जो सिर्फ औरों की कमियां ही दिखाता है 
उसे आधा भरा हुआ नहीं ,
बाकी जो खाली है वह आधा गिलास नजर आता है लोगों की अच्छाइयां नहीं दिखती 
उनकी बुराइयां ही खोजता है 
कोकिला की तरह आम्र तरु पर नहीं,
 कौवे की तरह सीधा नीम तक ही पहुंचता है 
 किसी की गलतियां ढूंढना बड़ा आसान है 
 गलतियां तो करता ही रहता है इंसान है 
 अरे इंसान क्या कई बार ,
 भगवान से भी गलती हो जाती है 
 किसी किसी के हाथ में ,
 पांच के बदले छह उंगलियां पाई जाती है 
 गलतियां उसी से होती है जो कुछ करता है 
 निठल्ले का जीवन तो व्यर्थ ही गुजरता है 
 कभी अपने अंदर  झांकोगे,
 तो अपनी भी कई कमियां देख पाओगे 
 पहले उन्हें सुधारोगे,
  तब दूसरों पर उंगली उठाओगे  
  आत्मविवेचन सबसे बड़ा उपचार है
  जो बदल देता आदमी का व्यवहार है 
  ऐसा करके तुम अपनी जिंदगी संवार सकोगे 
  खुद सुधरोगे , तभी औरों को सुधार सकोगे 
  इसलिए सिर्फ गलतियों को मत तलाश करो 
  कोई गलती नजर आए ,
  तो उसे सुधारने का प्रयास करो 
  इससे तुम्हारी गरिमा बढ़ेगी 
  तुम्हारी छवि और भी निखरेगी
  अपने जीवन को सार्थक करिए 
 आलोचक नहीं, सुधारक बानिये

मदन मोहन बाहेती घोटू

शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

बदलते मौसम 

तू जो ना संग, लगती सर्दी,
 बढ़ जाती है तन में ठिठुरन
तू पास आती, बढ़ती ऊष्मा ,
होता गर्मी वाला मौसम 
तू मिल जाती ,फूल महकते,
 खिलता मौसम, बासंती बन  
 मिलन हमारा बारिश जैसा, 
 प्यार बरसता रिमझिम रिमझिम 
 कभी गर्म तू सूरज जैसी, 
 कभी चांदनी सी शीतल है 
 जब भी साथ तेरा मिलता है ,
 मौसम जाते बदल बदल है

मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 16 सितंबर 2021

परहेज 

डॉक्टर कहता डायबिटीज है,
 जीवन जियो ,सीधा-सादा 
 मीठे से परहेज करो तुम ,
 और नमक ना खाओ ज्यादा 
 तुम्ही बताओ कैसे छोडूं,
  स्वाद तेरे नमकीन बदन का 
  नहीं मिठास छोड़ सकता हूं ,
  तेरे प्यार भरे  चुम्बन का 
  मुझसे यह परहेज ना होगा, 
  कम ना होगा नेह हमारा 
  कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगा 
  कैसे भी, मधुमेह हमारा 
  2
  डॉक्टर कहता ब्लड प्रेशर है 
  रहो शांति से, बरतो संयम 
  पर जब तुम पास आती हो तो,
   बढ़ जाती है दिल की धड़कन 
   तुमसे दूर रहूं यह प्रेशर 
   बढ़ा रहा मेरा ब्लड प्रेशर 
   यह दबाव सब दब जाएगा 
   बंधन में बाहों के बंध कर 
   तेरे संग उन्मुक्त प्यार का, 
    पर आनंद, न तज सकता मैं 
   लाख डॉक्टर मना करे पर 
   यह परहेज ,न रख सकता मैं

मदन मोहन बाहेती घोटू

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