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बुधवार, 27 अगस्त 2014

मारामारी

        मारामारी

अगर साथ देती जो किस्मत हमारी
 नहीं करनी पड़ती हमें मारा मारी
 कभी हमने भी खूब मारी थी मस्ती ,
बड़ी बेफिकर ,जिंदगी थी हमारी
बहुत गप्प मारी,बहुत झक्क  मारी ,
करते रहे हम, यूं ही चाँद मारी
कभी आँख मारी,कभी मारे चक्कर ,
लगी इश्क़ करने की हमको बिमारी
लगे लोग कहने ,हमें मजनू मियां ,
हुई आशिकों में ,हमारी शुमारी
बड़ी मुश्किलों से पटाई थी लड़की,
मगर बन गयी है वो बीबी हमारी
रही थोड़े दिन तक  तो छाई खुमारी,
गृहस्थी की हम पर,पड़ी जिम्मेदारी
फंसा इस तरह दाल आटे का चक्कर ,
यूं ही मरते मरते कटी   उम्र   सारी

घोटू  

बदला हुआ माहौल

        बदला  हुआ माहौल

आजकल कुछ इस तरह,बदला हुआ माहौल है,
          बदतमीजी,बददिमागी,बदमिज़ाजी  आम है
प्रेम के बंधन में कोई,बंधता है ना बांधता ,
          हो गया है इस कदर ,खुदगर्ज हर इंसान है
सिखाया करते थे हमको पाठ अमन-ओ-चैन का,
       अदावत और झगडे ही बन गया उनका काम है      
था जो गुलशन ,गुलों से गुलजार हरदम महकता ,
                कांटे वाले केक्टस अब बने उसकी शान है 
ठंडी ठंडी हवाएँ जो सहलाती थी जिस्म को,
               आजकल झझकोरती  है ,बन गयी तूफ़ान है
इस तरह के हाल से हैं हम गुजरने लग गए,
              ये हमारी अपनी ही करतूत का  अंजाम है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मंगलवार, 26 अगस्त 2014

बनो ऐसे कि....


बनो ऐसे कि 
मंजिल को हो इन्तजार
तुम्हारे पहुंचने का,
और अगर ऐसा न हो तो
रह जाए एक मलाल उसे
तुम्हारे न पहुंचने का...

बनो ऐसे कि
हर महफिल में छाए रौनक
एक तुम्हारे आने से,
छा जाये हर तरफ मातम
एक तुम्हारे जाने से...

बनो ऐसे कि
बहुत बड़ी हो जाएं
तुम्हारे आस पास की 
छोटी - छोटी खुशियां भी,
सिमट कर न के बराबर 
रह जाये अपनी ही नहीं
दूसरों के गमों की दुनिया भी...

बनो ऐसे कि
हर रिश्ता तुमसे
जगमगाता सा नजर आये,
दिलो जान से निभाने पर भी
अगर कोई जाए तो पछताये कि
यार बहुत बड़ी गलती कर आये...

बनो ऐसे कि
हर हुनर - हर फन में
एक मिसाल हो जाओ,
तो देर किस बात की है
जो बीता सो बीता
अब तो होश में 'विशाल' हो जाओ...

- विशाल चर्चित

सोमवार, 25 अगस्त 2014

औरत के आंसू

              औरत के आंसू

औरत के आंसू से,हर कोई डरता है
धनीभूत गुस्सा जब ,आँखों से झरता है
चंद्रमुखी की आँखें,ज्वालामुखी बन जाती ,
लावा से बहते है ,आंसू जब गालों पर
तो उसकी गर्मी से ,पिघल पिघल जाते है,
कितने ही योद्धा भी,जिनका दिल है पत्थर
घातक है नयन नीर,अबला  का ये बल है
जब टपका करता है,आँखों से बन मोती
एक जलजला जैसे ,घरभर में आ जाता,
गुस्से में विव्हल हो,घरवाली जब रोती
बड़े धाँसू होते है,औरत के ये आंसूं ,
चार पांच ही बहते ,प्रलय मचा देते है
वैसे तो जल की ही ,होती है कुछ बूँदें,
मगर जला देते है ,आग लगा देते है
अपनी जिद मनवाने का अमोघ आयुध ये,
वार कभी भी जिसका ,नहीं चूक पाता है
चाहे झल्ला कर के ,चाहे घबराकर के ,
पतिजी से जो सारी ,बातें मनवाता  है
बड़े बड़े शूरवीर ,ध्वस्त हुआ करते है ,
औरत का ब्रह्म अस्त्र ,जब भी ये चलता है
मृगनयनी आँखों से ,छलक छलक बहा नीर ,
देता है ह्रदय चीर ,आदमी पिघलता है
बस उसका ना चलता ,बस बेबस हो जाता ,
बात  मान लेता बस ,मरता क्या करता है
 घनीभूत गुस्सा जब आाँखो से झरता है
औरत के आंसूं से ,हर कोई डरता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

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