दो सवैये
१
लुगाई
बेटी पराई ,मुस्काई ,मनभायी ऐसी
नैनों के द्वारे आई ,दिल में समाई है
रूप छलकाई ,शरमाई ,मन लुभाई अरु,
नखरे दिखाई आग तन में लगाईं है
प्यार दरशाई ले कमाई की पाई पाई ,
पति को पटाई ऐसो जादू सीख आई है
नज़रें झुकाई ,करे नाहीं जामे छुपी हाँइ ,
सबसे सवाई होत , घर में लुगाई है
२
बेचारा आदमी
एक बिचारो प्यारो,मुश्किल को मारो ,हारो,
हार वरमाला को ,गले जबसे डारो है
बाहर जो शेर ,हुयो ढेर ,फेर बीबी के ,
पालतू बंदरिया सो ,नाचे पा इशारो है
लॉलीपॉप लालच को मारो वो बिचारो ऐसो ,
दौड़ दौड़ काम करे ,घरभर को सारो है
मूछन को ताव गयो ,मारयो बेभाव गयो ,
ऐसो सात फेरन ने ,फेरा में डारो है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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