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रविवार, 30 अगस्त 2015

फितरत

               फितरत

बदलना होता है मुश्किल,किसी इंसान की फितरत,
             करो तुम लाख कोशिश पर ,नहीं बदलाव आएगा
अगर वो स्वर्ग भी जाए ,मिले जो अप्सराएं तो,
              बड़ा शालीन ,शरमा कर,बहन जी ,कह बुलाएगा
और जो चलता पुर्जा है,हमेशा मस्त मौला है,
               हरेक हालात में वो,मौज मस्ती  ढूंढ  लाएगा
नरक में भी उबलता तेल ,देखेगा कढ़ाहों में,
               कहीं से मांग कर बेसन ,पकोड़े तल के खायेगा

मदन मोहन बाहेती'घोटू'  

गहरी चोट

                गहरी चोट

कुछ ऐसे तीर भी होते है ,जो बिना धनुष के चल जाते ,
            करते है गहरी चोट मगर ,ना खून खराबा  करते है
  जब तीर नयन के चलते है,तो सीधे दिल पर लगते है,
             दिल की घंटी  बजती है पर,ना शोर शराबा करते है
सच तो ये है कि हमको भी ,वो चोट सुहानी लगती है,
             हालांकि घायल होने का ,हम यूं ही दिखावा  करते है
वो ऐसी आग लगा देते ,जो नहीं बुझाए बुझती है,
             दिन दूनी ,रात चौगुनी वो,चाहत में इजाफा   करते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
             
                
           

निभाती साथ बीबी है

              निभाती साथ बीबी है

समय का चक्र ऐसा है,बदलता रहता है अक्सर ,
                कभी जो बदनसीबी तो कभी फिर खुशनसीबी है
ये लक्ष्मी चंचला होती ,नहीं टिकती कहीं पर है,
                छोड़ती साथ वो जब है ,तो छा जाती  गरीबी  है
डूबती नाव को सब छोड़ कर के भाग जाते है,
                 निभाते साथ ना जिनको ,समझते हम करीबी है
हरेक हालात में और उम्र के हर मोड़ पर हरदम
                      तुम्हारे संग रहती है ,निभाती साथ बीबी है
                
मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मशवरा

                  मशवरा 
सबके फोटो खींचों और खुद रहो  नदारद ,
           फोटोग्राफर बनने में नुक्सान   यही है 
फॅमिली निग्लेक्ट करो और समय खपाओ ,
         सोशल सर्विस करना कुछ आसान नहीं है
खुद कुछ भी ना करना,कोई और करे तो,
          मीनमेख उसमे निकालना बड़ा सरल है ,
हरेक बात में लोग मशवरा दे देते है ,
           रत्ती भर भी होता जिसका ज्ञान नहीं है
जब सत्ता में थे तो उड़ते राजहंस से ,
         पंख फड़फड़ाते हैं अब बने विपक्षी पक्षी,
कांव कांव कर काम नहीं होने देतें है,
          क्या विपक्ष का एकमात्र बस काम यही है
जब थे अच्छे दिन तो लूटी वाही वाही ,
              अब कोई ना पूछे ऐसी हुई तबाही  ,
अपने पैरों पर जो स्वयं कुल्हाड़ी मारे,
              ऐसे लोगों का होता  अंजाम  यही  है

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

बुधवार, 26 अगस्त 2015

नर,नारी और बारह राशि

       नर,नारी और बारह राशि

नारी,
स्वयं 'कन्या'राशि होती है ,
'मीन' की तरह सुन्दर और चंचल नयन
 तिरछी भौंहो के 'धनु'से ,
नज़रों के तीर छोड़ती हुई  हरदम 
द्वय 'कुम्भ'से,
शोभित किये हुए अपना गात
'वृश्चिक'की तरह ,जब डंक मारती है ,
तो मुश्किल हो जाते है हालात
नर,
'वृषभ' सा  मुश्तंड ,
'सिंह' सा दहाड़ता हुआ
और 'मेष'की तरह ,
अपने सींग मारता हुआ
कभी 'मकर'की तरह ,
अपने जबड़ों में जकड़ता है
तो कभी 'कर्क'की तरह ,
पकड़ता है
नर और नारी,
'तुला'की तरह जब,
दोनों पलड़ों का होता है संतुलन 
तब ही  दोनों का 'मिथुन'की तरह
होता है मिलन

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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