घोटू के पद
प्रभु मैं ऐसो बन्यो जमाई
आजादी की सारी पूंजी ,
खो दी मैंने जमी जमाई
सिमट गयो आकार सगाई
की रिंग अन्दर माही
मां बीवी अधिकार जमाए
करती हाथापाई
मैं न इधर को ,नहीं उधर को,
होती रोज खिंचाई
एक तरफ जाऊ तो कुवो
एक तरफ है खाई
मुश्किल में है पड़ी जिंदगी
होती लोक हंसाई
घोटू देखा हर घर में
मिट्टी के चूल्हे हैं भाई
इसी तरह दुनिया में जिंदगी
सब ने यार बिताई
प्रभु मैं ऐसा बन्यों जमाई
घोटू
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