जवानी पर चढ़ गयी है सर्दियां
रात की ठिठुरन से बचने, भूल सब शिकवे ,गिले
शाम ,डर कर,उलटे पैरों,दोपहर से जा मिले
ओढ़ ले कोहरे की चादर ,धूप ,तज अपनी अकड़
छटपटाये चमकने को ,सूर्य पीला जाये पड़
हवायें जब कंपकंपाये ,निकलना मुश्किल करे
चूमने को चाय प्याला ,बारहां जब दिल करे
जेब से ना हाथ निकले ,दिखाये कन्जूसियाँ
पास में बैठे रहे बस ,लगे मन भाने पिया
लिपट तन से जब रजाई ,दिखाये हमदर्दियाँ
तो समझ लो ,जवानी पर,चढ़ गयी है सर्दियाँ
घोटू
लो क सं घ र्ष !: स्टालिन और हिटलर में अंतर फिर आप कहते हैं कि स्त...
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लो क सं घ र्ष !: स्टालिन और हिटलर में अंतर फिर आप कहते हैं कि स्त...:
स्टालिन और हिटलर में अंतर फिर आप कहते हैं कि स्तालिन तानाशाह थे चर्चिल अपनी
बहुचर्चित...
5 घंटे पहले