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सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

बचपन

सोचा न था इस तरह चला जायेगा वो
इन्तजार कर लें चाहें जितना ,
पर अब लौट के न आयेगा वो ,
कभी रोता कभी हँसता ,मुस्कुराता हुआ शरारतों से भरा
इस तरह बिछड़ जायेगा वो,
मांगते रह जायेंगे हम, पर अब न मिल पायेगा वो
यादों की दुनिया में जाके चुप गया है इस तरह की ,
अब ढूँढने पर भी नजर नहीं आयेगा वो ,
उस बचपन को अब यादों में ही तलाशना ,
क्योकि इस जनम में तो दोबारा नहीं मिल पायेगा वो ,
वो बचपन जो बिछड़ गया है हमसे सदा के लिए ,
यादों की दुनिया में ही मुस्कुराएगा वो,
सोचा न था इस तरह चला जायेगा वो
इन्तजार कर लें चाहें जितना ,
पर अब लौट के न आयेगा वो |


                                        अनु डालाकोटी

रविवार, 26 फ़रवरी 2012

ब्रह्मा विष्णु महेश

ब्रह्मा विष्णु महेश
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भारत की सीमा पर,
तीन तरफ समंदर,
और एक तरफ पहाड़ है
और  हमारे त्रिदेव ,
ब्रह्मा,विष्णु महेश पर,
इसकी सुरक्षा का भार है
उत्तर में कैलाश पर्वत पर,
बिराजे है शिव शंकर,
चीन की सभी गतिविधियों पर,
रखे हुए है नज़र
और सुरक्षा समंदर की,
कर रहे है  विष्णु भगवान
उन्होंने तो समंदर के अन्दर ही,
बना लिया है रहने का स्थान
शेषनाग की शैया पर विराजते है
और भारत की,तीन तरफ की ,
सुरक्षा को, वो ही सँभालते है
यहाँ तक कि उनकी पत्नी लक्ष्मी जी,
भारत के आर्थिक विकास में है लगी
और तीसरे देव ब्रह्मा जी,
कमल नाल पर बैठे हुए,
अपने चारों मुखों से,
देश कि आतंरिक सुरक्षा पर,
पूरी नज़र रखें है
और सरस्वती के साथ,
देश कि बौद्धिक और सांस्कृतिक,
विरासत कि सुरक्षा में लगे  है
इन तीनो देवताओं का वरदान,
और आशीर्वाद हम पर है
इसीलिए तो आज  भारत ,
प्रगति के पथ पर है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

नसीब

हर कोई इस दुनिया में अपना नसीब लेकर आता है ,
किसी को मिलता है सब कुछ , 

तो कोई अपने नसीब से कुछ नहीं पाता है |
हर कोई इस दुनिया में अपना नसीब लेकर आता है |
कोई खुश है अपने नसीब पर ,
तो कोई बस अपने नसीब को कोसता रह जाता है |
हर कोई इस दुनिया में अपना नसीब लेकर आता है |
ये नसीब का ही खेल है शायद !
की कोई तो हार रहा है पल पल  ,
और कोई हर लम्हे को जीत के बैठ जाता है |
हर कोई इस दुनिया में अपना नसीब लेकर आता है |
हर किसी का नसीब लिखा है ऊपर वाले ने ,
अब देखना बस ये है ,

की कौन अपने नसीब को कितना बदल पाता है |
हर कोई इस दुनिया में अपना नसीब लेकर आता है |

                                                                        अनु डालाकोटी




शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

संतरा

            संतरा
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धरा सा आकार सुन्दर,अरुण सी आभा सुशोभित
वेद का,उपनिषद का सब,ज्ञान फांकों सा सुसज्जित
और फांकों में समाये, वेद सब ,सारी ऋचायें
ज्ञान कण कण में,वचन से ,प्यास जीवन की बुझाये
फांक का हर एक दाना, मधुर जीवन रस भरा  है
संत के सब गुण  समाहित,इसलिए ये संतरा  है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

होली

खेलूंगी होली तोहरे ही साथ पिया ,
जाने न दूंगी तोहे आज पिया |
झूम झूम के डारू तुझपे रंग पिया ,
भीजूंगी आज तोहरे ही संग पिया ,
खेलूंगी होली तोहरे ही साथ पिया |
लगाऊं अबीर लगाऊं गुलाल गालो में तोहरे ,
ये मौका न जाने दू हाथ से पिया ,
खेलूंगी होली तोहरे ही साथ पिया |
बाँधी है प्रीत की डोरी जो तुझसे ,
उस प्रीत पे आने न दूंगी आंच पिया ,
खेलूंगी होली तोहरे ही साथ पिया |
छुडाये न छूटेगा ये
रंग पिया ,
इस प्रीत से भीज जायेगा तोहरा अंग पिया ,
खेलूंगी होली तोहरे ही साथ पिया |
खुली आँख और टूटा सपना ,
तू खड़ा है सरहद के पास पिया ,
अब कैसे खेलूंगी होली तोहरे साथ पिया ?
अब कैसे खेलूंगी होली तोहरे साथ पिया ?

                                                          अनु डालाकोटी                



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