मैं तुमसे क्या मांगा था
मैंने तुमको देखा, तुमसे क्या मांगा था
केवल तुमसे बस इतना सा ही तो मांगा था
अपनी प्यारी चंचल हिरणी सी आंखों से
प्यार भरी एक दृष्टि मुझ पर भी बरसा दो
मेरे जीवन को हरशा दो
पर तुमने इनकार कर दिया
तुमने नज़र उठाई , मैने क्या मांगा था
केवल तुमसे बस इतना सा ही तो मांगा था
अपने कोमल से कपोल पर,
एक चुम्बन अंकित करने दो
मुझको रोमांचित करने दो
पर तुमने इनकार कर दिया
तुम पास आई तो दिल धड़का
मैंने तुमसे बस इतना सा ही तो मांगा था
अपने रक्तिम और रसीले इन अधरों का,
मुझको भी रसपान करा दो,
मेरे जीवन को सरसा दो
पर तुमने इनकार कर दिया
तुम सकुचाई और शरमाई
मैंने तुमसे बस इतना सा ही तो मांगा था
अपनी कसी और कमनीय देह को
अपने बाहुपाश में मुझे बांध लेने दो
मुझे स्वर्ग का सुख लेने दो,
पर तुमने इनकार कर लिया
मैं निराश हो लौट रहा था तुमने टोका
झोंका आया एक तुम्हारे मधुर स्वरों का
बोली टुकड़ों टुकड़ों की ये मांग अधूरी
मैं राजी हूं तुम्हे समर्पित होने पूरी
प्यार भरे तुम्हारे प्यारे आमंत्रण ने
मेरे जीवन का सपना साकार कर दिया
तुमने मुझपर बहुत बड़ा उपकार करदिया
मदन मोहन बाहेती घोटू
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