ये मिट्टी ये मिट्टी ये मिट्टी ये मिट्टी
ये मिट्टी नहीं है हमारी ये मां है
मिट्टी से अपना बदन ये बना है
जीवन के पल-पल में छाई है मिट्टी
हमेशा बहुत काम आई है मिट्टी
ये मिट्टी ये मिट्टी ये मिट्टी ये मिट्टी
गांव की मिट्टी में बीता था बचपन
मिट्टी का घर था और मिट्टी का आंगन मिट्टी के चूल्हे की रोटी सुहानी
मिट्टी के मटके से पीते थे पानी
मिट्टी के होते खिलौने थे सुंदर
वो गाड़ी वो गुड़िया वो भालू वो बंदर
मिट्टी की पाटी में खड़िया लगाकर
सीखे थे हमने गिनती और अक्षर
मिट्टी में खेले ,हुए कपड़े मैले
बचपन में छुप छुप कर खाई है मिट्टी
ये मिट्टी ये मिट्टी ये मिट्टी ये मिट्टी
मिट्टी की सिगड़ी में सर्दी में दादी
हमें सेक मक्की के भुट्टे खिलाती
मिट्टी सुराही का ठंडा वो पानी
मिट्टी के कुल्हड़ की चाय सुहानी
बारिश में मिट्टी में चलना वो थप थप बचाने को पैसे थी मिट्टी की गुल्लक
हमेशा बहुत काम आई है मिट्टी
जीवन के हर रंग छाई है मिट्टी
ये मिट्टी ये मिट्टी ये मिट्टी ये मिट्टी
त्यौहार जब भी दिवाली का आता
मिट्टी के गणपति और लक्ष्मी माता
सभी लोग मिलकर के करते थे पूजन मिट्टी के दीपक से घर होता रोशन
अब तो शहर में है कंक्रीट के घर
मिट्टी की खुशबू नहीं है कहीं पर
एक कंचन काया बदन यह हमारा
इसकी भीअंतिम विदाई है मिट्टी
जीवन के पल-पल मे छाई है मिट्टी
ये मिट्टी ये मिट्टी ये मिट्टी ये मिट्टी
मदन मोहन बाहेती घोटू
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