दे के उपहार इतने पटाया उन्हें
प्यार में उनके तो मेरा घर लुट गया
कहां से लाऊंगा खर्च हनीमून का,
जो था मेरा खजाना सभी खुट गया
क्या पता था कि आसां मोहब्बत नहीं,
इसमें पड़ता है पापड़ बहुत बेलना
जैसे तैसे अगर शादी हो भी गई
बाद में पड़ता है मुश्किलें झेलना
जो तुम खाओ तो पछताओ, ना खाओ तो भी शादी बूरे के लड्डू है ,क्या कीजिए
दुर्गति है तुम्हारी हरेक हाल में
शौक से जिंदगी का मजा लीजिए
मदन मोहन बाहेती घोटू
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