बड़ी खुशनुमा जिंदगी थी हमारी
कटी जा रही थी खरामा खरामा
किसी की नजर पर ,लगी ऐसी हम पर,
गए भूल सारा ही, हंसना हंसाना
न तुम ही थके थे ,ना हम ही थके थे,
बड़ा जिंदगी का सफर था सुहाना
न लेना किसी से ,न देना किसी को,
सभी से मोहब्बत का रिश्ता निभाना
बड़ी खुशनुमा जिंदगी थी हमारी,
कटी जा रही थी खरामा खरामा
किसी की नजर पर, लगी ऐसी हम पर
गए भूल सारा ही हंसना हंसाना
दुनिया को देखा,समझ में ये आया,
गया है बदल किस क़दर ये जमाना
सभी को पड़ी है ,बस अपनी अपनी,
भुलाया है लोगों ने रिश्ते निभाना
सदा ढूंढते हैं ,कमी दूसरों की
कैसा है कोई फलाना ढिकाना
भरा मैल कितना है मन में हमारे ,
नहीं साफ करते हैं हम वो ठिकाना
रिश्तों की करना ,कदर जानते वो,
देखा है जिनने, पुराना जमाना
सुख-दुख सभी भोगना पड़ रहा है ,
चुकाते हैं कर्मों का कर्जा पुराना
कभी तो हंसी है लबों पर थिरकती,
कभी आंख से आंसुओ का बहाना
कभी डगमगाते,कभी खिलखिलाते,
इतना सा है बस हमारा फसाना
मदन मोहन बाहेती घोटू
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