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शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

बदलते मौसम 

तू जो ना संग, लगती सर्दी,
 बढ़ जाती है तन में ठिठुरन
तू पास आती, बढ़ती ऊष्मा ,
होता गर्मी वाला मौसम 
तू मिल जाती ,फूल महकते,
 खिलता मौसम, बासंती बन  
 मिलन हमारा बारिश जैसा, 
 प्यार बरसता रिमझिम रिमझिम 
 कभी गर्म तू सूरज जैसी, 
 कभी चांदनी सी शीतल है 
 जब भी साथ तेरा मिलता है ,
 मौसम जाते बदल बदल है

मदन मोहन बाहेती घोटू

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