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मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

जरूरत है 

जरुरत है,जरूरत है 
हमे चाहिये एक ऐसी कामवाली बाई 
जो कर सके घर का झाड़ू पोंछा और सफाई 
और साथ में ,बिना चूं चपड़ और कुछ कहे 
मेरी पत्नी की डाट भी सुनती रहे 
बिलकुल जबाब न दे और बुरा न माने 
डाट सुनना भी ,अपनी ड्यूटी का ही अंश जाने 
क्योंकि सुबह सुबह उसे बात या बेबात पर  डाट 
निकल जायेगी पत्नी के मन की  डाटने की भड़ास 
उनका डाटने का 'कोटा' खलास हो जाएगा 
तो फिर मेरे हिस्से ,डाट नहीं,प्यार आएगा 
और फिर हर रोज 
मुझे नहीं मिलेगा, सुबह सुबह डाट का 'डोज '
क्योंकि बच्चो को वो डाट नहीं सकती 
और सास से है वो डरती 
बचा एक मैं ही वो प्राणी हूँ जो सब कुछ सहता 
और उनकी डाट सुन कर भी कुछ नहीं कहता 
अब जब कामवाली बाई ये डाट खायेगी 
तो सुबह सुबह मेरी शामत  नहीं आएगी
मुझे डाट के प्रातःकालीन प्रसाद से ,
छुटकारा मिल जाएगा 
और कामवाली बाई को ,
इस विशेष काम के लिए ,
'डाट अलाउंस'अलग से चुपके से दिया जाएगा 

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

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