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गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018

गरदन ने अदब सीख लिया 

ऐसा ईश्वर ने गढ़ा रूप उनका सुन्दर सा ,
 हर एक कटाव और उठान में तूफ़ान भरा ,
मिल गयी देखने को झलक उनकी हलकी सी ,
           हमको तक़दीर ने कुछ ऐसी इनायत दे दी 
एक बच्चे सा गया मचल मचल मन पागल 
खिलौना देख कर सुन्दर सा ,बड़ा ललचाया ,
आ गया जिद पे कि पा जाऊं ,बनालू अपना 
      उसको हासिल करूँ ,कैसे भी ये हसरत दे दी 
बिना झलकाये पलक ,देर  तलक तकता रहा ,
नहीं हट पाई  निगाह  दूर उनके चेहरे  से ,
हे  खुदा तूने ये कैसा बनाया इन्सां  को ,
      आशिक़ी करने की इस दिल को क्यों आदत दे दी 
हुस्न का उनके हम दीदार करें ,करते रहे ,
लाख रह रह के रही आँख यूं ही रिरियाती ,
शुक्र है वो तो ये गरदन ने अदब सीख लिया ,
      जरा सी  झुक  गयी ,उसको ये शराफत दे दी        

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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