जड़े
जो ऊपर से लहराते है और मुस्काते,महकाते है
निज सुंदरता पर नाज़ किये जो किस्मत पर इतराते है
होती है किन्तु जड़े इनकी ,सबकी जमीन के नीचे है
ये सब तो तभी पनप पाते,जब कोई इनको सींचे है
जब तक इनकी मजबूत जड़ें,ये तब तक शान हुआ करते
जो जड़े हिल गयी थोड़ी सी,तो ये कुरबान हुआ करते
इतना महत्व है जब जड़ का ,उनकी सोचो जो खुद जड़ है
इन ऊपर उगने वालों से ,ये सब के सब होते बढ़ है
आलू जमीन के नीचे है, बारह महीनो का भोजन है
नीचे जमीन के ही बढ़ते ,ये प्याज और गुणी लहसन है
अदरक जमीन के नीचे है ,जो कितने ही गुण वाला है
भू के अंदर उगती हल्दी ,जो भेषज और मसाला है
धरती नीचे मूली ,सलाद और शलजम बड़ी भली लगती
देती है तैल ,स्वाद वाली ,भू में ही मुंगफली लगती
कितनी ही जड़ीबूटियां भी उगती जमीन के अंदर है
पैदा जमीन में होता है ,तब ही गुणवान चुकन्दर है
हर बीज पनपता धरती में,माँ सीने की ऊष्मा पाकर
जड़ से ही होता है विकास ,बनता तब वृक्ष घना जाकर
ये सब ही भले दबे रहते ,भीतर ही भीतर बढ़ते है
माँ धरती से चिपटे रहते ,तब ही गुण इनके बढ़ते है
रहते जमीन के नीचे जो ,वो गुण की खान हुआ करते
इनके जमीन से जुड़ने से ,इनके गुणगान हुआ करते
इसलिए जुडो तुम धरती से,ये देश तभी तो संवरेगा
तुम्हारा धरती से जुड़ना ,तुम में कितने गुण भर देगा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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