माँ तुझे प्रणाम
तूने मुझको पाला पोसा ,तू मेरी जननी है माता
जब भी मुझे वेदना होती,नाम तेरा ही मुंह पर आता
कैसे तुझे पता चल जाता,जब भी मुझको दर्द सताता
अन्तरतल से बना हुआ है ,ऐसा तेरा मेरा नाता
तेरे चरणों में मौजूद है ,सारे तीरथ धाम
माँ तुझे प्रणाम
नौ महीने तक रखा कोख में ,तूने कितना दर्द उठाया
फिर जब मै दुनिया में आया,तूने अपना दूध पिलाया
चिपका रखा मुझे छाती से ,तूने मुझको गोद उठाया
ऊँगली पकड़ सिखाया चलना ,भले बुरे का बोध कराया
इस दुनिया की उंच नीच का मुझे कराया ज्ञान
माँ तुझे प्रणाम
धीरे धीरे ,बड़ा हुआ मैं ,गए बदलते कितने मौसम
मुझको कुछ तकलीफ नहीं हो ,तूने ख्याल रखा ये हरदम
मैं बीमार पड़ता तू रोती ,मैं हंसता तो खुश होती तुम
करी कटौती खुद पर ताकि मुझको कुछ भी नहीं पड़े कम
तूने मेरी खुशियों खातिर ,किया नहीं आराम
माँ तुझे प्रणाम
माँ तू ही मेरी ताक़त है ,मेरी शक्ति,मेरा बल है
तेराआशीर्वाद हमेशा ,मेरे लिए बना सम्बल है
मुझे बचाता ,हर पीड़ा से ,तेरा प्यार भरा आँचल है
मैं उपकृत हूँ,ऋणी तुम्हारा ,मेरा रोम रोम हरपल है
मुझ पर तेरी कृपा हमेशा ,बनी रहे अविराम
माँ तुझे प्रणाम
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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