एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2017

अब तो शिद्दत हो गयी 

चर्चा  करते  करते  मुद्दों की ,तो  मुद्दत  हो  गयी 
नतीजा कुछ भी न निकला ,अब तो शिद्दत हो गयी  
अभी तक भी कंवारा ,बैठा है मेरा  यार वो ,
रोज कहता था फलां से ,उसको उल्फत हो गयी 
शमा जलती ही रही ,कुछ फर्क ना उसको पड़ा,
मुफ्त  में  परवाने कितनो , की शहादत हो गयी 
सीमा पर कितने ही सैनिक मरे ,सब चलता रहा ,
एक  एम पी मर गया  तो बन्द   संसद हो गयी 
करोड़ों का काला पैसा ,जमा जिनके पास था ,
नोटबन्दी क्या हुई ,उनको तो हाजत  हो गयी 
दे दिया औरों के हाथों ,साइकिल का हेंडिल,
बाप बेटे लड़ लिए , कुर्सी  मुसीबत हो गयी 
जबसे पिछड़ापन तरक्की की  गारन्टी बन गया ,
लाभ लेने वालों की ,लम्बी सी पंगत  हो गयी 
निगलते भी नहीं बनता ,ना ही बनता उगलते,
अब तो इस माहौल में ,रहने की आदत हो गयी 

मदन मोहन बाहेती;घोटू;

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-