एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 14 जनवरी 2017

मकर संक्रांति पर प्रणयनिवेदन 

दिन गुजारे ,प्रतीक्षा में ,शीत में ,मैंने  ठिठुर कर 
सूर्य  आया  उत्तरायण,नहीं  तुमने  दिया  उत्तर 
है मकर संक्रान्ति आयी ,शुभ मुहूरत आज दिन का 
पर्व है यह खिचड़ी का ,दाल चावल के मिलन का 
हो हमारा मिलन ऐसा ,एक दम ,हो जाए हम तुम 
दाल तुम ,मैं बनू चावल,खिचड़ी बन जाय हमतुम 
कहते कि आज के दिन ,दान तिल का पुण्यकारी 
पुण्य कुछ तुम भी कमा लो,बात ये मानो  हमारी 
इसलिए तुम आज के दिन,प्रिये यहअहसान करदो  
तिल तुम्हारे होठ पर जो है,मुझे  तुम  दान  कर दो 

मदनमोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-