एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

रविवार, 22 जनवरी 2017

घोड़ी पर बैठने की सजा

रहती सवार सर पे,हरदम है बीबीजी ,
सेवा में दौड़ दौड़ ,हुआ जाता पतला हूँ
जिद करते बच्चे की ,घोडा बनो पापाजी,
बिठा पीठ पर उनको,घुमा रहा,पगला हूँ
गृहस्थी की गाडी में ,जुता हुआ हूँ जबसे ,
घरभर का बोझा मैं ,उठा रहा सगला हूँ
गलती से एकबार ,घोड़ी पर क्या बैठा ,
घोडा बन बार बार,चूका रहा बदला हूँ

घोटू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-