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बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

करो संगत जवानों की

  

बुढापे में अगर तुमको,जोश जो भरना है जी में,
तरीका सबसे  अच्छा है ,करो सगत जवानों की 
रहेगी मौज और मस्ती,उंगलिया सब की सब घी में,
तुम्हारे चेहरे पर छा जायेगी ,रंगत  जवानों  की 
करेगी बात हंस हंस कर  ,हसीना नाज़नीं  तुमसे,
भले अंकल पुकारेगी ,तो इसमें हर्ज ही क्या है,
तुम्हारी सोच बदलेगी,जवां समझोगे तुम खुद को,
रखेगी,सजसंवर कर 'फिट',तम्हे सोहबत जवानों की 
चढ़े परवान पर फिर से ,तुम्हारा जोश और जज्बा ,
तुम्हारे तन की रग रग में,जवानी फिर से दौड़ेगी ,
सफेदी सर की तुम्हारे,हो काली ,लहलहायेगी,
लौट फिर तुम में आएगी,वही हिम्मत जवानों की 
उमर के फासले की जब झिझक मिट जायेगी तो फिर,
तुम्हारे अनुभवों  का लाभ ,पायेगी नयी  पीढ़ी ,
कभी तुम उनसे सीखोगे,कभी वो तुमसे सीखेंगे ,
तुम्हारा दिल भी खुश होगा ,यूं पा उल्फत जवानों की 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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