जवानी में तो यूं ही, सुहाना संसार होता है
उमर के साथ जो बढ़ता ,वो सच्चा प्यार होता है
बुढापा कुछ नहीं ,एक सोच है ,इसको बदल डालो ,
पुराना जितना , उतना चटपटा अचार होता है
न चिता काम की,फुरसत ही फुरसत ,मौज मस्ती है,
यही तो वो उमर है ,जब चमन ,गुलजार होता है
ताउमर ,काम कर मधुमख्खियों सा,भरा जो छत्ता ,
बची जो शहद ,चखने का ,यही त्योंहार होता है
अपनी तन्हाई का रावण जला दो,मिलके यारों से,
जला दीये दिवाली के,दूर अन्धकार होता है
प्रभु में लीन होने से, पूर्व का पर्व ये सुन्दर,
हमारी जिंदगी में ,सिर्फ बस एक बार होता है
यूं तो दिलफेंक कितने ही ,दिखाते दिलवरी अपनी,
निभाता साथ जीवन भर ,वही दिलदार होता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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