पहले कहते चख लेने दो ,
फिर कहते हो छक लेने दो,
ऊँगली पकड़,पकड़ना पोंची ,
कला कोई ये तुमसे सीखे
कभी मुझे ला देते जेवर ,
कभी कलाकन्द,मीठे घेवर ,
पल में मुझे पटा लेते हो ,
क्या दिखलाऊँ तेवर तीखे
तुम रसिया हो,मन बसिया हो,
मेरे प्रियतम और पिया हो ,
मेरा जिया चुराया तुमने ,
तुम मालिक हो मेरे जी के
तुम बिन साजन,ना लगता मन,
रहे तड़फता मेरा जीवन
तुम्हारे बन्धन में बंध कर,
सारे बन्धन लगते फीके
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
बढ़िया कविता
जवाब देंहटाएं