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सोमवार, 31 अक्तूबर 2016

धुवाँ धुंवा आकाश हो गया

 

धुंवा धुंवा आकाश हो गया

कहीं किसी ने फसल काट कर,अपना सूखा खेत जलाया
आतिशबाजी  जला किसी ने ,दिवाली  त्योंहार  मनाया
हवा हताहत हुई इस तरह ,मुश्किल  लेना  सांस हो गया
                                           धुवा धुंवा आकाश हो गया
बूढ़े बाबा ,दमा ग्रसित थे ,बढ़ी सांस की  उन्हें  बिमारी
दम सा घुटने  लगा सभी का, हवा हो गयी इतनी भारी
जलने लगी किसी की आँखे ,कहीं हृदय  आघात हो गया
                                          धुंवा धुंवा आकाश हो गया
ऐसा घना धुंधलका छाया ,दिन में लगता शाम हो गयी
तारे सब हो गए नदारद , शुद्ध  हवा बदनाम  हो गयी
अपनी ही लापरवाही से ,अपनो को ही  त्रास हो गया
                                     धुंवा धुंवा आकाश हो गया
हवा हुई इतनी  जहरीली  ,घर घर फ़ैल गयी बिमारी
छेड़छाड़ करना प्रकृति से ,सचमुच हमें पड़ रहा भारी
ऐसी आग लगी मौसम में ,कितना बड़ा विनाश हो गया
                                         धुंवा धुंवा आकाश हो गया

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
                                

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