अब रौब जमाना शुरू किया
मैंने तारीफ़ की बढ़ चढ़ कर
मेरी कवितायें पढ़ पढ़ कर ,
मेरी पत्नी ने मुझ पर ही ,
अब रौब जमाना शुरू किया
पहले जो कुछ ना कहती थी
बस सेवा करती रहती थी
उसने अब अपनी ऊँगली पर ,
है मुझे नचाना शुरू किया
लिख लिख कविता पत्नीवादी
हो गई मेरी ही बरबादी
मेरी बिल्ली थी ,मुझसे ही,
अब म्याऊं म्याऊं कहती है
वो कभी डाटती है डट कर
और रौब गाँठती है मुझ पर ,
मइके जाने की धमकी दे ,
वो मुझे डराती रहती है
थी सीधी सादी एक गऊ
पर अब पीने लग गयी लहू ,
दिन भर की खीज और गुस्सा ,
सब कुछ उतारती है मुझ पर
जो डाला अगर नहीं चारा
और नहीं प्यार से पुचकारा
तो देती नहीं दूध बिलकुल,
और सींग मारती है मुझ पर
कुछ भूल हुई ऐसी भारी
निज पैरों मारी कुल्हाड़ी
करवाई खुद ऐसी तैसी ,
हो गए बहुत ही परेशान
हम ऐसे जले दूध के है
अब पीते छाछ फूंक के है ,
कितनी ही ठोकर खायी है ,
तब आया थोड़ा ,बहुत ज्ञान
फरमाइश बढ़ती रोज रोज
वो मुझसे लड़ती रोज रोज ,
उनकी इस हरकत ने मुझको,
अब रोज खिजाना शुरू किया
मैंने तारीफ़ की बढ़ बढ़ कर
मेरी कविताएं पढ़ पढ़ कर ,
मेरी पत्नी ने मुझ पर ही ,
अब रौब जमाना शुरू किया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मैंने तारीफ़ की बढ़ चढ़ कर
मेरी कवितायें पढ़ पढ़ कर ,
मेरी पत्नी ने मुझ पर ही ,
अब रौब जमाना शुरू किया
पहले जो कुछ ना कहती थी
बस सेवा करती रहती थी
उसने अब अपनी ऊँगली पर ,
है मुझे नचाना शुरू किया
लिख लिख कविता पत्नीवादी
हो गई मेरी ही बरबादी
मेरी बिल्ली थी ,मुझसे ही,
अब म्याऊं म्याऊं कहती है
वो कभी डाटती है डट कर
और रौब गाँठती है मुझ पर ,
मइके जाने की धमकी दे ,
वो मुझे डराती रहती है
थी सीधी सादी एक गऊ
पर अब पीने लग गयी लहू ,
दिन भर की खीज और गुस्सा ,
सब कुछ उतारती है मुझ पर
जो डाला अगर नहीं चारा
और नहीं प्यार से पुचकारा
तो देती नहीं दूध बिलकुल,
और सींग मारती है मुझ पर
कुछ भूल हुई ऐसी भारी
निज पैरों मारी कुल्हाड़ी
करवाई खुद ऐसी तैसी ,
हो गए बहुत ही परेशान
हम ऐसे जले दूध के है
अब पीते छाछ फूंक के है ,
कितनी ही ठोकर खायी है ,
तब आया थोड़ा ,बहुत ज्ञान
फरमाइश बढ़ती रोज रोज
वो मुझसे लड़ती रोज रोज ,
उनकी इस हरकत ने मुझको,
अब रोज खिजाना शुरू किया
मैंने तारीफ़ की बढ़ बढ़ कर
मेरी कविताएं पढ़ पढ़ कर ,
मेरी पत्नी ने मुझ पर ही ,
अब रौब जमाना शुरू किया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।