ऐसा भी होता है
शोख भी थी ,चुलबुली थी,कटीली सुंदर हसीना ,
सताती थी,लुभाती थी ,दिखा कर अपनी अदाएं
मज़ा आता था हमे भी ,छेड़ते थे जब उसे हम,
वो खफा हो रूठ जाती ,मानती ना थी मनाए
परेशां होकर के उसने ,हमे एक दिन छूट दे दी ,
ना , न बोलूंगी ,करो तुम ,जो तुम्हारे मन में आये
अचानक से पैंतरा उसका बदलता देख कर के ,
ऐसे भौंचक्के हुए हम, घबरा कुछ भी कर न पाये
घोटू
शोख भी थी ,चुलबुली थी,कटीली सुंदर हसीना ,
सताती थी,लुभाती थी ,दिखा कर अपनी अदाएं
मज़ा आता था हमे भी ,छेड़ते थे जब उसे हम,
वो खफा हो रूठ जाती ,मानती ना थी मनाए
परेशां होकर के उसने ,हमे एक दिन छूट दे दी ,
ना , न बोलूंगी ,करो तुम ,जो तुम्हारे मन में आये
अचानक से पैंतरा उसका बदलता देख कर के ,
ऐसे भौंचक्के हुए हम, घबरा कुछ भी कर न पाये
घोटू
यहीं तो गड़बड़ हो जाती है प्यार के पागलपन में ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति .