अच्छा लगता है
कभी किसी पर,दिल आना भी ,अच्छा लगता है
सपनो से ,मन बहलाना भी ,अच्छा लगता है
वो जब गिरते हुए थामते ,अपनी बाहों में ,
कभी कभी ठोकर खाना भी ,अच्छा लगता है
एक तरह का खाते खाते , मन उकताता है ,
कभी कभी होटल जाना भी ,अच्छा लगता है
जब मन करता ,अपनी मरजी ,जी लें कभी कभी,
बीबी का मइके जाना भी ,अच्छा लगता है
अपने हाथों ,यदि वो पोंछें ,अपने आंचल से ,
तो कुछ आंसू ढलकाना भी ,अच्छा लगता है
फ़िल्मी गाने ,सुनते सुनते ,जब मन भरता है,
कभी कभी ,पक्का गाना भी ,अच्छा लगता है
जब अपनी तारीफें सुन सुन ,वो इतराते है ,
उनका ऐसे इतराना भी ,अच्छा लगता है
दिन भर करके काम ,थके हम जल्दी सोते है,
पत्नी का मीठा ताना भी,अच्छा लगता है
यही सोच कर ,साथ हूर का ,होगा जन्नत में,
कुछ लोगों को ,मर जाना भी ,अच्छा लगता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कभी किसी पर,दिल आना भी ,अच्छा लगता है
सपनो से ,मन बहलाना भी ,अच्छा लगता है
वो जब गिरते हुए थामते ,अपनी बाहों में ,
कभी कभी ठोकर खाना भी ,अच्छा लगता है
एक तरह का खाते खाते , मन उकताता है ,
कभी कभी होटल जाना भी ,अच्छा लगता है
जब मन करता ,अपनी मरजी ,जी लें कभी कभी,
बीबी का मइके जाना भी ,अच्छा लगता है
अपने हाथों ,यदि वो पोंछें ,अपने आंचल से ,
तो कुछ आंसू ढलकाना भी ,अच्छा लगता है
फ़िल्मी गाने ,सुनते सुनते ,जब मन भरता है,
कभी कभी ,पक्का गाना भी ,अच्छा लगता है
जब अपनी तारीफें सुन सुन ,वो इतराते है ,
उनका ऐसे इतराना भी ,अच्छा लगता है
दिन भर करके काम ,थके हम जल्दी सोते है,
पत्नी का मीठा ताना भी,अच्छा लगता है
यही सोच कर ,साथ हूर का ,होगा जन्नत में,
कुछ लोगों को ,मर जाना भी ,अच्छा लगता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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