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pradip_kumar110@yahoo.com
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बुधवार, 12 जून 2024
Last Reminder: Prevent Account Hold
मेहमान
घर में है मेहमान आ रहे
बहुत खुशी है आल्हादित मन
बोझ काम का बढ़ जाएगा
पत्नी को हो रहा टेंशन
कैसे काम सभालूंगी सब
यही सोच कर घबराती है
उससे ज्यादा काम ना होता
जल्दी से वह थक जाती है
बात-बात में होती नर्वस
हाथ पांव में होता कंपन
बढ़ती उम्र असर दिखलाती
पहले जैसा रहा न दम खम
भाग भाग कर दौड़-दौड़ कर
ख्याल रखा करती थी सबका
पहले जैसी मेहनत करना
रहा नहीं अब उसके बस का
मैं बोला यह सत्य जानलो
तुम्हें बुढ़ापा घेर रहा है
दूर हो रही चुस्ती फुर्ती
अब यौवन मुख फेर रहा है
आंखों से भी कम दिखता है
थोड़ा ऊंची भी सुनती हो
लाख तुम्हें समझाता हूं मैं
लेकिन मेरी कब सुनती हो
अब हम तुम दोनों बूढ़े हैं
तुम थोड़ी कम में कुछ ज्यादा
ज्यादा दिन तक टिक पाएंगे
जीवन अगर जिएंगे सदा
पहले जैसा भ्रमण यात्रा
करने के हालात नहीं है
खाना पीना खातिरदारी
करना बस की बात नहीं है
पहले जैसे नहीं रहे हम
यही सत्य है और हकीकत
काम करो केवल उतना ही
जितनी तुम में हो वह हिम्मत
कोई बुरा नहीं मानेगा
मालूम हालत पस्त तुम्हारी
खुशी खुशी त्यौहार मनाएगी
मिलकर फैमिली सारी
मदन मोहन बाहेती घोटू
तेरी मेरी चिंता
मुझको रहती तेरी चिंता
तुझको रहती मेरी चिंता
क्या होगा जब हम दोनों में
कोई एक न होगा जिंदा
तू भी बूढ़ी ,मैं भी बूढ़ा
एक दूजे को रखें संभाले
उसे पड़ाव पर है जीवन के,
पता नहीं कब राम बुला ले
किस दिन पिंजरा तोड़ उड़ेगा
जाने किसका प्राण परिंदा
मुझको रहती तेरी चिंता
तुझको रहती मेरी चिंता
आ सकती है मौत कभी भी
कोई भी दिन ,कोई भी क्षण
एकाकी जीवन जीने को
अपने को तैयार रखें हम
दृढ़ता नहीं दिखाएंगे तो ,
जीवन होगा चिंदा चिंदा
तुझको रहती मेरी चिंता
मुझको रहती तेरी चिंता
यह जीवन का कटु सत्य है ,
एक दिन मौत सभी को आनी
लेकिन कौन जाएगा किस दिन,
यह तिथि नहीं किसी ने जानी
पता न कौन धरा पर होगा
होगा कौन स्वर्ग बासिंदा
तुझको रहती मेरी चिंता
मुझको रहती मेरी चिंता
करो विवेचन उस दिन का जब
ऐसा कुछ मौका आएगा
संबल कौन प्रदान करेगा ,
कौन तुम्हारे काम आएगा
सच्चा साथ निभाने वाला
होगा कौन खुद का बंदा
मुझको रहती तेरी चिंता
तुझको रहती मेरी चिंता
ऐसे दुख के क्षण जब आए
धीरज रखें टूट न जाए
आवश्यक है इसीलिए हम
अपने को मजबूत बनाएं
ऐसा ना हो कमजोरी पर
होना पड़े हमारे शर्मिंदा
तुझको रहती मेरी चिंता
मुझको रहती तेरी चिंता
पता न फिर कोई ना पूछे
अब से सबसे रखें बनाकर
आंखों में आंसू ना आए
टूट न जाए हम घबराकर
रखना है दृढ़ हमको खुद को
जब तक रहना जीवन जिंदा
तुझको रहती मेरी चिंता
मुझको रहती तेरी चिंता
मदन मोहन बाहेती घोटू
सोमवार, 10 जून 2024
जय जय जय बजरंगी
जय जय जय बजरंगी
बोलो जय जय जय बजरंगी
अतुलित बल के धाम प्रभु तुम,
सिया राम के संगी
बोलो जय जय जय बजरंगी
बालपने में समझ मधुर फल
सूर्य देव को गए तुम निगल
धरती पर अंधियारा छाया
उगला सूरज ,त्रास मिटाया
राम भटकते थे वन वन में
सीता हरण किया रावण ने
तब तुमने प्रभु सागर लांघा
पता लगाया सीता मां का
तुमने बजा दिया निज डंका
दहन करी सोने की लंका
राम और रावण युद्ध हुआ जब
सब पर भारी आप पड़े तब
मेघनाथ ने मारा आयुध
नागपाश बंध लक्ष्मण बेसुध
उड़ लाए संजीवनी बूटी
सेवा थी यह बड़ी अनूठी
मेरे लिए कहीं से ला दो
बूटी रंग बिरंगी
जय जय जय बजरंगी
बोलो जय जय जय बजरंगी
प्रभु तुम हो नव निधि के दाता
तुम हो मेरे भाग्य विधाता
कब से तुमको पूज रहा हूं
बीमारी से जूझ रहा हूं
थोड़ा सा उपकार करो प्रभु
मेरा भी उपचार करो प्रभु
जैसे तुमने लंका जारी
भस्म करो मेरी बीमारी
जैसे तुमने खोजी सीता
खोजो ऐसा कोई तरीका
मेरा दुख दारुण मिट जाए
और स्वास्थ्य की सीता आए
जो लक्ष्मण हित लाए बूटी
लाओ मेरे हित दवा अनूठी
मेरे त्रास मिटा दो हनुमन
कर दो तबीयत चंगी
जय जय जय बजरंगी
बोलो जय जय बजरंगी
मदन मोहन बाहेती घोटू
और उम्र कट गई
एक दिन गुजर गया,
एक रात कट गई
मात्र आठ प्रहर में ,
जिंदगी सिमट गई
कभी रहे प्रसन्न हम,
दुखी कभी तो अनमने
और उम्र कट गई
शनेः शनेःशनेः शनेः
कभी सिहरती सर्दियां
रिमझिमी फुहार थी
कभी कड़कती धूप तो
चांदनी बहार थी
और हम लगे रहे ,
यूं ही वक्त थामने
और उम्र कट गई
शनेःशनेः शनेः शनेः
बरसता का धन कभी-
कभी न कौड़ी पास थी
दुश्मनों का जोर था
दोस्त की तलाश थी
हंस के झेलते रहे
मुसीबतें थी सामने
और उम्र कट गई
शनेः शनेः शनेः शनेः
दिया किसी ने दर्द भी
मिला किसी का प्यार भी
मिली कभी जो जीत तो
पाई हमने हार भी
बदलती रही फिजा
फर्क ना पड़ा हमें
और उम्र कट गई
शनेः शनेः शनेः शनेः
जवानी में सुख मिला
बुढ़ापे ने दुख दिया
मेरे पीछे पड़ गये
रोग और बीमारियां
सबसे हम लड़ते रहे
कौन माटी के बने
और उम्र कट गई
शनेः शनेः शनेः शनेः
मदन मोहन बाहेती घोटू
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कथा सुनो शबाब की - *कथा सुनो शबाब की* *सवाल की जवाब की* *कली खिली गुलाब **की* *बड़े हसीन ख़ाब की* * नया नया विहान था* * घ...9 वर्ष पहले
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कम्बल और भोजन वितरण के साथ "अपंगता दिवस" संपन्न हुआ - *नई दिल्ली: विगत 3 दिसम्बर 2014 दिन-बधुवार को सुबह 10 बजे, स्थान-कोढ़ियों की झुग्गी बस्ती,पीरागढ़ी, दिल्ली में गुरु शुक्ल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट (पंजीकृत) दिल...10 वर्ष पहले
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जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (21) चलो-चलो यह देश बचायें ! (‘शंख-नाद’ से) - (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) चुपके-खुल कर अमन जलाते | खिलता महका चमन जलाते || अशान्ति की जलती ज्वाला से- सुखद शान्ति का भवन जलाते || हिंसा के दुर्दम प...10 वर्ष पहले
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झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (14) आधा संसार (नारी उत्पीडन के कारण) (क) वासाना-कारा (vi) कुबेर-सुत | - (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) दरिद्रता-दुःख-दीनता, निर्धनता की मार ! कितना पीड़ित विश्व में, है आधा संसार !! पुत्र कुबेरों के कई, कारूँ के कुछ लाल ! ज...10 वर्ष पहले
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आहटें ..... - *आज भोर * *कुछ ज्यादा ही अलमस्त थी ,* *पूरब से उस लाल माणिक का * *धीरे धीरे निकलना था * *या * *तुम्हारी आहटें थी ,* *कह नहीं सकती -* *दोनों ही तो एक से...10 वर्ष पहले
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झाँसी की रानी पर आधारित "आल्हा छंद" - झाँसी की रानी पर आधारित 'अखंड भारत' पत्रिका के वर्तमान अंक में सम्मिलित मेरी एक रचना. हार्दिक आभार भाई अरविन्द योगी एवं सामोद भाई जी का. सन पैंतीस नवंबर उ...10 वर्ष पहले
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हम,तुम और गुलाब - आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गया था और उसकी हर पंखुड़िय...10 वर्ष पहले
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गाँव का दर्द - गांव हुए हैं अब खंढहर से, लगते है भूल-भुलैया से। किसको अपना दर्द सुनाएँ, प्यासे मोर पप्या ? आंखो की नज़रों की सीमा तक, शहरों का ही मायाजाल है, न कहीं खे...10 वर्ष पहले
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रंग रंगीली होली आई. - [image: Friends18.com Orkut Scraps] रंग रंगीली होली आई.. रंग - रंगीली होली आई मस्तानों के दिल में छाई जब माह फागुन का आता हर घर में खुशियाली...10 वर्ष पहले
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भ्रष्ट आचार - स्वतंत्र भारत की नीव में उस समय के नेताओं ने अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के रख दिये थे भ्रष्ट आचार फिर देश से कैसे खत्म हो भ्रष्टाचार ?11 वर्ष पहले
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अन्त्याक्षरी - कभी सोचा नहीं था कि इसके बारे में कुछ लिखूँगी: बचपन में सबसे आमतौर पर खेला जाने वाला खेल जब लोग बहुत हों और उत्पात मचाना गैर मुनासिब। शायद यही वजह है कि इ...11 वर्ष पहले
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संघर्ष विराम का उल्लंघन - जम्मू,संघर्ष विराम का उल्लंघनकरते हुए पाकिस्तानी सेना ने रविवार को फिर से भारतीय सीमा चौकियों पर फायरिंग की। इस बार पाकिस्तान के निशाने पर जम्मू जिले के का...11 वर्ष पहले
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प्रतिभा बनाम शोहरत - “ हम होंगें कामयाब,हम होंगें कामयाब,एक दिन ......माँ द्वारा गाये जा रहे इस मधुर गीत से मेरे अन्तःकरण में नए उत्साह का स्पंदन हो रहा था .माँ मेरे माथे को ...11 वर्ष पहले
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रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 7 ........दिनकर - 'हाय, कर्ण, तू क्यों जन्मा था? जन्मा तो क्यों वीर हुआ? कवच और कुण्डल-भूषित भी तेरा अधम शरीर हुआ? धँस जाये वह देश अतल में, गुण की जहाँ नहीं पहचान? जाति-गोत्...11 वर्ष पहले
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आवरण - जानती हूँ तुम्हारा दर्प तुम्हारे भीतर छुपा है. उस पर मैं परत-दर-परत चढाती रही हूँ प्रेम के आवरण जिन्हें ओढकर तुम प्रेम से भरे सभ्य और सौम्य हो जाते हो जब ...11 वर्ष पहले
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OBO -छंद ज्ञान / गजल ज्ञान - उर्दू से हिन्दी का शब्दकोश *http://shabdvyuh.com/* ग़ज़ल शब्दावली (उदाहरण सहित) - 2 गीतिका छंद वीर छंद या आल्हा छंद 'मत्त सवैया' या 'राधेश्यामी छंद' :एक ...12 वर्ष पहले
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इंतज़ार .. - सुरसा की बहन है इंतज़ार ... यह अनंत तक जाने वाली रेखा जैसी है जवानी जैसी ख्त्म होने वाली नहीं .. कहते हैं .. इंतज़ार की घड़ियाँ लम्बी होती हैं ख़त्म भ...12 वर्ष पहले
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यार की आँखों में....... - मैं उन्हें चाँद दिखाता हूँ उन्हे दिखाई नही देता। मैं उन्हें तारें दिखाता हूँ उन्हें तारा नही दिखता। या खुदा! कहीं मेरे यार की आँखों में मोतियाबिंद...12 वर्ष पहले
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आज का चिंतन - अक्सर मैं ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ. जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमय...12 वर्ष पहले
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Pujya Tapaswi Sri Jagjivanjee Maharaj Chakchu Chikitsalaya, Petarbar - Pujya Tapaswi Sri Jagjivanjee Maharaj Chakchu Chikitsalaya, Petarbar is a Charitable Eye Hospital which today sets an example of a selfless service to the...12 वर्ष पहले
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क्राँति का आवाहन - न लिखो कामिनी कवितायें, न प्रेयसि का श्रृंगार मित्र। कुछ दिन तो प्यार यार भूलो, अब लिखो देश से प्यार मित्र। ……… अब बातें हो तूफानों की, उम्मीद करें परिवर्तन ...12 वर्ष पहले
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कल रात तुम्हारी याद - कल रात तुम्हारी याद को हम चाह के भी सुला न पाये रात के पहले पहर ही सुधि तुम्हारी घिर कर आई अहसास मुझको कुछ यूँ हुआ पास जैसे तुम हो खड़े व्याकुल हुआ कुछ मन...12 वर्ष पहले
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HAPPY NEW YEAR 2012 - *2012* *नव वर्ष की शुभकामना सहित:-* *हर एक की जिंदगी में बहुत उतार चढाव होता रहता है।* *पर हमारा यही उतार चढाव हमें नया मार्ग दिखलाता है।* *हर जोखिम से ...12 वर्ष पहले
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"भइया अपने गाँव में" -- (बुन्देली काव्य-संग्रह) -- पं० बाबूलाल द्विवेदी - We're sorry, your browser doesn't support IFrames. You can still <a href="http://free.yudu.com/item/details/438003/-----------------------------------------...13 वर्ष पहले
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अब बक्श दे मैं मर मुकी - चरागों से जली शाम ऐ , मुझे न जला तू और भी, मेरा घर जला जला सा है,मेरा तन बदन न जला अभी, मैंने संजो रखे हैं बहुत से राख के ढेर दिल मैं कहीं, सुलग सुलग के आय...13 वर्ष पहले
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अपनी भाषाएँ - *जैसे लोग नहाते समय आमतौर पर कपड़े उतार देते हैं वैसे ही गुस्से में लोग अपने विवेक और तर्क बुद्धि को किनारे कर देते हैं। कुछ लोगों का तो गुस्सा ही तर्क...13 वर्ष पहले
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दरिन्दे - बारूद की गन्ध फैली है, माहौल है धुआँ-धुआँ कपड़ों के चीथड़े, माँस के लोथड़े फैले हैं यहाँ-वहाँ। ये छोटा चप्पल किसी मासूम का पड़ा है यहाँ ढूँढो शयद वह ज़िन...14 वर्ष पहले
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