रात अच्छी नींद आयी
कष्ट ना कुछ,नहीं पीड़ा
न ही काटा कोई कीड़ा
रात सारी मधुर सपनो में ही खो कर के बितायी
रात अच्छी नींद आयी
मै थका था,तुम थकी थी
नींद भी गहरी लगी थी
नहीं हर दिन कि तरह से ,भावनाएं कसमसाई
रात अच्छी नींद आयी
रही दिन भर व्यस्त इतनी
हो गयी तुम पस्त इतनी
पडी बिस्तर पर तुम्हारे ,पड़े खर्राटे सुनायी
रात अच्छी नींद आयी
नींद में ग़ाफ़िल हुई तुम
मौन पसरा रहा ,गुमसुम
करवटें हमने न बदली ,ना ही खटिया चरमराई
रात अच्छी नींद आयी
रहे डूबे हम मजे में
नींद के मादक नशे में
क्या पता कब रात गुजरी ,क्या पता कब भोर आयी
रात अच्छी नींद आयी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कष्ट ना कुछ,नहीं पीड़ा
न ही काटा कोई कीड़ा
रात सारी मधुर सपनो में ही खो कर के बितायी
रात अच्छी नींद आयी
मै थका था,तुम थकी थी
नींद भी गहरी लगी थी
नहीं हर दिन कि तरह से ,भावनाएं कसमसाई
रात अच्छी नींद आयी
रही दिन भर व्यस्त इतनी
हो गयी तुम पस्त इतनी
पडी बिस्तर पर तुम्हारे ,पड़े खर्राटे सुनायी
रात अच्छी नींद आयी
नींद में ग़ाफ़िल हुई तुम
मौन पसरा रहा ,गुमसुम
करवटें हमने न बदली ,ना ही खटिया चरमराई
रात अच्छी नींद आयी
रहे डूबे हम मजे में
नींद के मादक नशे में
क्या पता कब रात गुजरी ,क्या पता कब भोर आयी
रात अच्छी नींद आयी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'