एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

सोमवार, 28 अप्रैल 2014

खून

        खून

माँ बाप ,बेटी बेटे जिनसे रिश्ता खून का,
                       उन सबके लिए होता दिल में हमको प्यार है
बढ़ता दबाब खून का ,बीमारियां होती,
                        ज्यादा मिठास खून में भी ,नागवार  है
जब जाने जिगर ,दिलरुबा ,आती करीब है ,
                        तो आने लगता खून में ,अक्सर उबाल है
दुश्मन भी आता सामने तो खून उबलता ,
                        खून के इंसान की ,फितरत कमाल है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

रविवार, 27 अप्रैल 2014

सुख-साली का

            सुख-साली का

शादी तो सबकी होती है,सबको मिलती घरवाली है
पर वो खुश किस्मत होते, जिनको मिलती छोटी साली है
है लाड़ लड़ाती सासूजी,और साली सेवा करती है
सीधी  ना टेढ़ी मेढ़ी पर  ,साली रस भरी इमरती है
यदि पत्नी दूध उबलता है, साली ,लस्सी,ठंडाई है
सालीजी चाट चटपटी है ,यदि बीबी मस्त मिठाई है
पत्नी यदि हलवे सी ढीली,साली कुरमुरी पकोड़ी है
बीबी ताँगे  में जुती  हुई,तो साली अल्हड घोड़ी  है
पत्नी दीपक दीवाली का ,साली फुलझड़ी ,पटाखा है
चंचल,चुलबुली चपल,सुन्दर हंस दिल पर डाले डाका है
बीबी हो जाती गोल बदन,साली गुलबदन ,नवेली है
बीबी तो बस दिनचर्या  है ,साली नूतन  अठखेली है
पहले 'जी'कहती ,और फिर 'जा',फिर शरमा कर'जी' कहती है
 अंदाज निराला होता  है ,जब वो 'जीजाजी ' कहती है
उससे मिल कर हर जीजा की,तबियत फूलों सी खिलती है
बीबी है घर का माल मगर,साली बोनस में मिलती है
 ये लोग कहा करते  ,साली ,होती आधी घरवाली है
तो  मेरी दो घरवाली है, एक बीबी है,दो साली है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुधवार, 23 अप्रैल 2014

नरेंदर मोदी जैसा हो

            नरेंदर मोदी जैसा हो

न आगे कोई ना पीछे,   न बेटी है न बेटा है
और करने देश की सेवा ,कमर कस के जो  बैठा है
लगे भारत का हर एक शख्स ही परिवार अपना है
बने सोने की चिड़िया देश फिर,जिसका ये सपना है
तरक्की भाईचारा हो,अमन हर  ओर  हो जाए
हमारा देश फिर से विश्व में सिरमौर हो जाए
विपुल भण्डार हो धन का,भरे भण्डार में अन्न हो
कमी ना बिजली ,पानी की,सभी उपलब्ध साधन हो
उगे फसलें हो खुशहाली ,बरसता खूब पैसा  हो
जो नेता  कर ये दिखलाये,नरेंदर मोदी जैसा हो

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

जो मोदी बात तुझमे है

         जो मोदी बात तुझमे है

देश उत्थान को लेकर ,भरे है सपने आँखों में,
                              वतन के वास्ते कुछ करने के,जज्बात तुझमे है
ये हिन्दू और मुस्लिम सिख्ख ,सब भारत के वासी है,
                                कि  कौमी एकता  के सुलझे ,ख़्यालात  तुझमे है
भीड़ लाखों की जुट जाती ,है तेरी बात सुनने को,
                                  है जादुई करिश्मा कोई करामात    तुझमे है
गजब का जोश,जज्बा है,सधी और सीधी बातें है,
                                  नज़र औरों में ना आती ,जो मोदी बात तुझमे है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

क्या ये सब ही राजनीति है?

क्या ये सब ही राजनीति  है?

इक दूजे पर फेंके  कीचड़
टांग खींचते ,आपस में लड़
ढूंढ ढूंढ कर पोल खोलते
उल्टा सीधा ,सभी बोलते
शब्दों का यूं ग़दर मचा है
नहीं कोई शालीन बचा है
             यहाँ सभ्यता हुई  इति  है
            क्या ये सब ही राजनीति है? 
ये कर देंगे,वो  देंगे कर
जनता को आश्वासन देकर
वादा किया हमेशा झूंठा 
सत्ता पाई,जी भर लूटा
जनता का धन लूट लूट के
अब बनते है धुले दूध के
         जनसेवा की यही रीति है ?
          क्या ये सब ही राजनीति है?
सत्ता लोलुपता में पागल
मचा रखा है ऐसा दंगल
तोड़फोड़ के सब हथकंडे
पड़े विरोधी जिससे ठन्डे
साम दाम अपनाने वाले
बस सत्ता का सपना पाले
             क्या जनता की यही नियति है ?
              क्या ये सब ही राजनीति  है?
इतने सब के उड़े होश है
इक दूजे को रहे कोस है
सत्ता छीने न ,यही सोच कर
उत्तर आये गाली गलोच पर
दंद फंद  के सभी काम कर
वोट मांगते ,धरम नाम पर
            जब मतलब है,तभी प्रीति है
             क्या ये सब ही राजनीति  है ?
पर अब जनता जाग गयी है
परिवर्तन की आग नयी है
झेला बहुत,न अब झेलेंगे
इनके हाथों   ना   खेलेंगे
भला बुरा सब परखेंगे हम
वोट उसी को तब देंगे हम
           जो जनता का सही हिती है
            तब ही सच्ची  राजनीति है
   
मदन मोहन बाहेती'घोटू'

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-