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गुरुवार, 21 दिसंबर 2023

क्या से क्या हो गई


मैं मोटी थुलथुल हो गई,

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 

मेरी सारी ब्यूटी खो गई,

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 


दुबली पतली कनक छड़ी थी,

 सुंदर प्यारी प्यारी 

कमसिन थी ,फूलों सी नाजुक,

जब तक थी मैं कुंवारी

लेकिन ऐसा तूने खिलाया

 मुझे प्यार का लड्डू 

दुबली पतली नरम तरोई ,

आज बन गई कद्दू 

मेरी रौनक सब गुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 

मैं मोटी थुलथुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 


छत्तीस चोबीस छत्तीस का था,

मेरा फिगर  प्यारा 

उसको तूने यार प्यार से

 फोर XL कर डाला 

बड़े चाव से पिज़्ज़ा बर्गर 

हलवा पूरी खिलाया 

ऐसा ऐश आराम दिया कि

गई फूलती काया 

मेरी टंकी अब फुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 

मैं मोटी थुलथुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 


मैं चंचल थी, बड़ी चपल थी

 दौड़ लगाती हिरणी

लेकिन पा आहार प्यार का 

आज बन गई हथिनी 

दो बच्चों की अम्मा बनकर 

बनी गृहस्थन ऐसी 

मेरे सारे अरमानों की 

हो गई ऐसी तैसी 

मेरी सारी चुलबुल खो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में 

मैं मोटी थुलथुल हो गई 

पिया तेरे प्यार के चक्कर में


मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 20 दिसंबर 2023

बदलती पहचान


जब मैं बच्चा था तो मेरी दादी

मुझे अपनी गोद में लेकर थी घुमाती 

पास पड़ोस सबका प्यार पाता था 

*दादी के घोटू*के नाम से जाना जाता था


थोड़ा बड़ा हुआ तो स्कूल जाने लगा 

पढ़ने लगा और अच्छे नंबर पाने लगा 

कुछ कविताएं लिखकर सुनाने लगा

*वकील साहब बाहेतीजी के पुत्र *के नाम से जाने जाने लगा 


फिर पढलिख कर मैंने इंजीनियरिंग किया किस्मत ने एक अच्छा सा जॉब मिल गया अच्छी पोजीशन में खाने कमाने लगा 

तब मैं *मदन मोहन *अपने नाम से जाने जाने लगा 


तब तक मेरे बेटे ने लगा ली फैक्टरी मेहनत करके खूब तरक्की करी 

तब तक मैं भी हो गया था रिटायर 

मेरी पहचान बनी *आशीष सर के फादर*


और फिर दिल्ली आकर बेटी श्वेता ने यूट्यूब पर रिलीज किया भजन और गाने उसकी पापुलैरिटी में हो गया इजाफा 

मेरी पहचान बनी *श्वेता के पापा *


अब मेरा प्यारा सा पोता है दिव्यान इन्वेस्टमेंट के फील्ड में बना रहा है पहचान आज मैं सच्चे दिल से कहना यह चाहूं *दिव्यान के दादा* के रूप में मैं पहचान जाऊं


मदन मोहन बाहेती घोटू

सोमवार, 18 दिसंबर 2023

बुढ़ापा घेर रहा है


धीरे-धीरे अब यौवन मुंह फेर रहा है

बुढ़ापा घेर रहा है 


थका थका सा तन लगता है सांझ सवेरे

आसपास आंखों के छाए काले घेरे 

अब थोड़ा ऊंचा भी सुनने लगे कान है

थोड़ी सी मेहनत कर लो ,आती थकान है

नहीं पुराने जैसी अब यह कंचन काया

मांसपेशियां ढीली है, तन है झुर्राया

 तरह-तरह की बीमारी ने घेर रखा है 

जो भी खाते, उसको पाते नहीं पचा है

बड़ा-बड़ा सा रहता है तन में ब्लड प्रेशर

डायबिटीज है, बढ़ी हुई है खूं में शक्कर

सर सफेद है और हुई कमजोर नजर है

घुटने करते दर्द ,हड्डियां भी जर्जर है 

बदले हैं हालात कोई भी ध्यान न देता 

करें न ढंग से बात, कोई सम्मान न देता

जिस पर प्यार लुटाया वह मुंह फेर रहा है 

बुढ़ापा घेर रहा है


मदन मोहन बाहेती घोटू

नजरिया बदलो


यह बुढ़ापा उम्र का वह दौर है

होती नजरे आपकी कमजोर है 

मगर चढ़ता चश्मा है जब आंख का 

बदल जाता नजरिया है आपका 

इस तरह संकेत ईश्वर दे रहा 

बदल दो तुम सोचने का नजरिया 

भूल जाओ मानसिकता रौब की 

लोग घर के तुमसे डरते थे कभी 

तुम रिटायर हुए, बूढ़े हो रहे 

पहले जैसे काम के अब ना रहे 

लाओ अपनी सोच में बदलाव तुम 

नम्रता की भावना अपनाओ तुम 

इसके पहले की अपेक्षा वह करें 

प्यार बरसा, आप सब का मन हरे 

साफ जैसे पहन चश्मा दिखेगा 

सोच बदलो तो करिश्मा दिखेगा 

बड़प्पन जो थोड़ा सा दिखलाओगे 

प्यार और सम्मान सबका पाओगे 

आपकी कोशिश यह रंग लाएगी 

हंसते-हंसते जिंदगी कट जाएगी


मदन मोहन बाहेती घोटू

बहुत नींद आती सवेरे सवेरे


छंटते हैं जब रात के सब अंधेरे

बहुत नींद आती, सवेरे सवेरे 


कई बीती बातें मानस पटल पर 

आ तेरती है ,कई स्वप्न बनकर 

किस्से पुराने बहुत याद आते 

हंसाते कभी तो कभी है रुलाते 

मगर आंख खुलती तो सब भूल जाते

छट जाते यादों के बादल घनेरे 

बहुत नींद आती, सवेरे सवेरे 


तन से लिपट करके रहती रजाई 

नहीं आंख खुलती है,आती जम्हाई

उठो जो अगर तो बदन टूटता है 

मुश्किल से बिस्तर मगर छूटता है 

बड़ा दिल कड़ा कर,अगर उठ भी जाते

आलस के बादल हमें रहते घेरे 

बहुत नींद आती, सवेरे सवेरे 


अगर हो जो छुट्टी या संडे का दिन है उठना सवेरे , बड़ा ही कठिन है 

बीबी जगाती, बना चाय प्याला 

होता सुबह का मजा ही निराला 

बिस्तर में लेकर के चाय की चुस्की,

शुरुआत होती है दिन की सुनहरे 

बहुत नींद आती, सवेरे सवेरे


मदन मोहन बाहेती घोटू

सोमवार, 27 नवंबर 2023

नया वर्ष आया नया वर्ष रे

मिलकर मनाओ सभी हर्ष रे 

वेलकम 2024वेलकम 2024 

अपने संग तुम लेकर आना,

 खुशियां मोर ही मोर 

वेलकम 2024 


फूले फले सभी का जीवन 

और दिनों दिन करें प्रगति हम 

रहे सभी में भाईचारा 

 प्रेम भाव से करें गुजारा 

अपने संग तू लेकर आना 

सुख शांति का दौर 

वेलकम 2024 वेलकम 2024 


हर दिन सब खुशियों से खेलें

नहीं कोई बीमारी फैले 

करें प्रगति सब बढ़ते जाएं 

हर दिन हम त्योहार मनाए 

हटे गरीबी, रहे न कोई 

दीन दुखी कमजोर 

वेलकम 2024 वेलकम 2024 


बने राम का मंदिर प्यारा

बांके बिहारी का गलियारा 

अग्रणीय हो देश हमारा 

विश्व गुरु हम बने दोबारा 

भारत देश की कीर्ति पताका ,

लहराये चहुं ओर

वेलकम 2024 वेलकम 2024


मदन मोहन बाहेती घोटू

शनिवार, 25 नवंबर 2023

इंतजार ,अगली दिवाली का


दीपावली पर सब आए थे

मन उमंग और जोश भरे थे 

पूरे घर भर में रौनक थी ,

कोने-कोने दीप जले थे 

जब पूरा परिवार साथ हो ,

भाई ,भाभी, बेटे ,पोती 

सब मिलकर के जश्न मनाते ,

तब असली दिवाली होती 

साथ बैठकर खाना पीना 

लक्ष्मी पूजा ,आतिशबाजी 

हल्ला गुल्ला,शोर शराबा ,

कभी ताश की लगती बाजी

अन्नकूट और भाई दूज के 

बाद सभी लौटे अपने घर 

गई चांदनी चार दिनों की,

 फिर से वही पुराना मंजर 

घर में हम दो बूढ़े बुढ़िया 

वक्त अकेले काट रहे हैं 

बची प्यार की पूंजी है जो 

वह हंस-हंसकर बांट रहे हैं 

याद किया करते बीते पल 

बंधा प्यार से परिवार है 

आने वाली दिवाली का 

हमको फिर से इंतजार है 


मदन मोहन बाहेती घोटू 

मोदी तेरे कई विरोधी

प्रगति के हैं सब अवरोधी

सारे के सारे बौराये ,

तूने उन्हें पटकनी जो दी

मोदी ,तेरे कई विरोधी 


एक पप्पू है बाल पक गए,

 पर बुद्धि पर असर नहीं है 

अंट शंट वो क्या बकता है,

 खुद को इसकी खबर नहीं है 

उल्टी सीधी हरकत करके,

 कांग्रेस की नाव डुबो दी

मोदी ,तेरे कई विरोधी 


एक है चारा चोर जेल से 

निकला फिर भी फैल रहा है 

बेटे को सत्ता दिलवा दे ,

रोज खेल कुछ खेल रहा है 

और नीतीश ने बचकुची थी 

वो भी सभी प्रतिष्ठा खो दी

मोदी, तेरे कई विरोधी 


मुफ्त रेवड़ी बांट बांट कर 

झूठ बोल सत्ता में आया 

उल्टे सीधे खेल-खेल कर 

खूब कमाया, जी भर खाया 

तीन मंत्री आज जेल में 

भ्रष्टाचार के हैं आरोपी 

मोदी ,तेरे कई विरोधी 


अखिलेश है आग उगलता,

अंट शंट,ओबीसी वकता

स्टालिन भी देता गाली ,

उद्धव पगलाया सा लगता 

जाने क्या-क्या कहती रहती,

 चुप ना रहती ममता, क्रोधी 

मोदी ,तेरे कई विरोधी 


परिवारवादी सबके सब ,

लेकिन तू प्रगति वादी है 

भारत के जन जन सेवा हित 

तूने अपनी उमर खपा दी 

लोहपुरुष ,निर्भीक चला चल 

हरदम जीत सत्य की होती 

मोदी ,तेरे कई विरोधी


मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 23 नवंबर 2023

गुरुवार, 16 नवंबर 2023

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रविवार, 12 नवंबर 2023

हां,हम दिल्ली में रहते हैं 


जुलूस, रैलियां और धरनों की,

पीड़ाएं निश दिन सहते हैं

हां,हम दिल्ली में रहते हैं


बड़ी अभागन है यह दिल्ली,

परेशान रहती बेचारी 

इसका मालिक कौन 

हो रही राज्य केंद्र में मारामारी

कहे केजरी ये मेरी है,

राज्यपाल अपनी बतलाता 

इन दोनों की खींचतान में ,

दम दिल्ली का निकला जाता 

हम पिसते रहते मुश्किल में

नहीं किसी से कुछ कहते हैं 

हां , हम दिल्ली में रहते हैं 


मुफ्त रेवड़ी बांट बांट कर 

मुख्यमंत्री बना जुगाड़ू 

ऐसा चिन्ह चुनाव बनाया 

दिल्ली पर लगवा दी झाड़ू 

कर ढपोर शंखों  से वादे 

करता बातें ऊंची ऊंची 

काम एक भी ना कर पाया

रही प्रदूषित दिल्ली समूची 

अब भी कचरे के पहाड़ से ,

बदबू के झोंके बहते हैं 

हां ,हम दिल्ली में रहते हैं 


हवा भरी है धूल ,धुंवे से,

मुश्किल श्वास, घुट रहा दम है

खांसी और खराश गले में,

आंखों में हो रही जलन है

वृद्ध घूमने अब ना जाते,

बच्चे बाहर खेल न पाते

वातावरण और शासन का

पॉल्यूशन हम झेल न पाते

झाग भरी जमुना मैया की

आंखों से आंसू बहते है

हां, हम दिल्ली में रहते हैं


घर से हुआ निकालना मुश्किल,

बाहर जाते, मन घबराता

दिन में सूरज, दिखे चांद सा,

और चांद तो नज़र न आता

परतें काले अंधियारे की,

छाई मन के अन्दर, बाहर

क्या ऐसे ही जीना होगा,

हमको जीवन भर, घुट घुट कर

छट दिवाली मना न पाते,

सूने सब उत्सव रहते हैं

हां, हम दिल्ली में रहते हैं 


मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 9 नवंबर 2023

दीपावली पर भेंटआई 

एक सदाबहार मिठाई ?


बड़े प्रेम से और हर्ष से दीपावली मनाई जाती 

इष्ट मित्र रिश्तेदारों से,बहुत मिठाई है आ जाती 

रसगुल्ला ,मिठाई छेने की, दो दिन में निपटा देते हम

 क्योंकि अगर जो हुई पुरानी ,उन में आ जाता खट्टापन 

भले जलेबी हो या इमरती ,अच्छी लगती गरम-गरम है 

गाजर हलवा गरम सुहाता ,जब होता ठंडा मौसम है 

काजू कतली थोड़े दिन में, चिपचिप करती नहीं सुहाती 

और सभी रस भरी मिठाई ,कुछ दिन में

सूखी पड़ जाती 

सब मिठाईयां होती बासी ,कुछ दिन में ढल जाए जवानी 

केवल एक मिठाई ऐसी, जिसका नहीं कोई भी सानी 

वह चिरयुवा ,स्वाद और सुंदर ,मुंह में रखो पिघल जाती है 

पीतवर्ण,मनभावन ,प्यारी , सोहनपपड़ी कहलाती है 

उसका लंबा टिकने वाला , यौवन ही उसका दुश्मन है 

इस दिवाली भेंट मिली तो अगली तक निपटाते हम हैं

सबसे सुंदर स्वाद स्वदेशी ,यह मिष्ठान बड़ा प्यारा है 

कभी प्रेम से खा कर देखो इसका स्वाद बड़ा न्यारा है 

चॉकलेट से ज्यादा प्यारी ,पर लोगों नाम धर दिया 

इसके स्वस्थ दीर्घ जीवन ने,है इसको बदनाम कर दिया 

सोहनपपड़ी भेंट मिले तो, सुनो दोस्तों डब्बा खोलो 

उसका प्यारा स्वाद चखो तुम ,अपने मुंह में अमृत घोलो 


मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 1 नवंबर 2023

एक शेर : हो गया ढेर


हां मैं  कभी शेर था 

सब पर सवा सेर था 

रौबीला ,जोशीला ,जवानी से भरपूर था अपनी ताकत के नशे में चूर था 

गर्व से दहाड़ा करता था 

हर कोई मुझसे  डरता था 

फिर एक दिन में एक चंचल हिरणिया 

के चक्कर में पड़ गया 

उसके प्यार का भूत मेरे सर पर चढ़ गया मैं उसकी प्यारी आंखों का हो गया दीवाना वह बन गई मेरी जाने जाना 

मुझे उस हो गया उससे प्यार 

उसकी अदाओं ने ,कर लिया मेरा शिकार 

मेरा सारा शेरत्व हो गया गुम 

मैं उसके आगे हिलाने लगा दुम 


और फिर जब पड़ा गृहस्थी का बोझ 

मैं नौकरी पर जाने लगा रोज 

पर वहां मेरा बॉस था एक गधा 

मुझ पर रौब डालता था  था सदा 

कई बार गुस्सा तो इतना आता था कि  झपट्टा मार कर उसे खा जाऊं 

पर मैं उसका मातहत था ,

उसके आगे करता था म्याऊं म्याऊं 

हालत में मुझे कहां से कहां ला दिया था एक शेर को बिल्ली बना दिया था 


फिर मेरे घर जन्मे दो प्यारे बच्चे

कोमल मुलायम खरगोश की तरह अच्छेे

वे मेरे मन को बहुत भाते थे 

मेरे साथ खेलते थे ,

कभी गोदी में कभी सर पर चढ़ जाते थे 

मैं उनको पीठ पर बिठा कर घुमाता था अपने प्यारे प्यारे खरगोशों के लिए 

मैं घोड़ा बन जाता था 


फिर एक दिन में हो गया रिटायर 

और धीरे धीरे बन गया एकदम कायर

मेरे अंदर का बचा कुछ शेर 

धीरे-धीरे हो गया ढेर

हर शहर का शायद यही होता हैअंत 

कि बुढ़ापे में वह बन जाता है संत 


मदन मोहन बाहेती घोटू

सोमवार, 30 अक्तूबर 2023

तुमको हमारी उम्र लग जाए 

मेरी पत्नी हर साल करवा चौथ का व्रत करती है 
मुझसे प्यार करने का दम भरती है 
दिन भर भूखी प्यासी रहकर 
प्रार्थना करती है कि हे ईश्वर 
मेरा सुहाग रहे अजर अमर 
उसको लग जाए मेरी उमर 

भगवान ने उसकी सुन ली है,
उसके भाग्य जग गए हैं 
उसकी उम्र के दस साल 
मुझे लग गए हैं 

मैं अपनी उम्र से बड़ा दिखता 
हूं दस साल
और वह अपनी उम्र से छोटी दिखती है दस साल 
ये है करवा चौथ व्रत का कमाल
क्योंकि शादी के समय मेरी उम्र थी पच्चीस 
उसकी उम्र थी बीस
और शादी के बीस साल बाद ,
उम्र के मामले में ,
मैं उसके सामने नहीं टिकता हूं 
वह खुद को तीस साल का बताती है 
और मैं पचपन का दिखता हूं 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023

जाकी रही भावना जैसी 

एक मूरत पत्थर की 
मैंने भी देखी, तुमने भी देखी 
मैंने उसमें ईश्वर देखा 
तुमने उसमें पत्थर देखा 
मैंने उसमें दिखाई श्रद्धा और विश्वास तुमने उड़ाया उसका उपहास 
तुम्हारा मखौल
नहीं कर सका मुझे डांवाडोल 
मेरी आस्तिकता बनी रही 
तुम्हारी नास्तिकता से डरी नहीं 
मेरी आस्था और निष्ठा
ने की उसमें प्राण प्रतिष्ठा 
तुम्हारी आलोचना और अविश्वास 
दिखाता रहा नास्तिकता का अहसास 
मैंने पूरी आस्था के साथ
उसे चेतन समझा तो वह चैतन्य हो गया उसने मेरी मनोकामना पूर्ण की 
मैं धन्य हो गया 
तुम पत्थर को अपनी तार्किक बुद्धि के साथ जड़ ही समझते रहे
तुममें नम्रता नहीं आई
और तुम जड़ के जड़ ही रहे
उस पत्थर ने जिसे मैने इश्वर समझा था
उसने इश्वर बन मेरा उपकार किया
और उसने जिसे तुमने पत्थर समझा था
तुम्हारे संग पत्थर सा व्यवहार किया
जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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